नई दिल्ली (राघव): अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले में उनकी मां ने न्याय के लिए अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और अपने पोते (अतुल सुभाष के बेटे) की कस्टडी मांगी है। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा दखल देते हुए उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकार को इस हेबियस कॉर्पस यानी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता अतुल की मां ने अपने पोते यानी अतुल के साढ़े चार साल के बेटे की कस्टडी के लिए अर्जी लगाते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई है। याचिका में लिखा है कि वो बच्चा कहां है ये किसी को भी पता नहीं है। लिहाजा निकिता से पूछताछ कर मासूम बच्चे की कस्टडी उनको यानी दादा दादी को सौंपी जाए।
निकिता ने पुलिस की बताया कि बेटा फरीदाबाद के बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा है। उसकी कस्टडी निकिता के ताऊ सुशील सिंघानिया के पास है। वहीं सुशील ने पुलिस को बच्चे की कस्टडी या उसके बारे में कोई भी जानकारी होने से सिरे से इंकार किया है। अतुल की पत्नी, पत्नी का भाई और मां भी फिलहाल हिरासत में हैं। लिहाजा उनसे पूछताछ कर मासूम बच्चे की कस्टडी उनको यानी दादा दादी को सौंपी जाए। क्योंकि इस मामले का उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक तीनों राज्यों से संबंध है इसलिए सुप्रीम कोर्ट से इसमें दखल देने की मांग की गई है। कोर्ट से आग्रह किया गया है कि बच्चे को बरामद कर कोर्ट के समक्ष लाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई की और तीनों राज्यों को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी। निकिता, उसकी मां और और उसका भाई तीनों एक साथ कैद में हैं। तो फिर सवाल ये है कि अतुल और निकिता के चार साले के बेटे की देखरेख कौन करेगा? इस वक्त वो किसके पास है? कौन उस बच्चे की देखभाल कर रहा है? तो आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि फिलहाल किसी को नहीं पता कि गिरफ्तारी से पहले निकिता ने अपने बेटे को कहां और किसके पास छोड़ा या छुपा कर रखा है। हांलाकि मरने से पहले अतुल ने बकायदा 23 पन्नों के अपने सुसाइड नोट और एक घंटा 21 मिनट 46 सेकंड के अपने आखिरी वीडियो में ये ख्वाहिश जताई थी कि उसकी मौत के बाद उसके बेटे की परवरिश और उसकी जिम्मेदारी उसके मां-बाप को सौंप दी जाए। उधर, अतुल के पिता ने भी कहा है कि उन्हें नहीं मालूम कि इस वक्त उनका पोता कहां है। अतुल के पिता ने मांग की है कि बेटे की ख्वाहिश के हिसाब से उन्हें उनके पोते को सौंप दिया जाए ताकि वो उसकी परवरिश कर सकें।