तीन बार के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री का पद संभाला, तो उनकी सफलता की कहानी ने कईयों को प्रेरित किया। इसी क्रम में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में भी ऐसी ही चर्चा होने लगी है। पूर्व अभिनेता और राजनेता शत्रुघ्न सिन्हा, जिन्हें हाल ही में टीएमसी ने आसनसोल से टिकट दिया है, ने इसे लोकसभा चुनाव के लिए ‘बड़ा गेम चेंजर’ बताया है।
शत्रुघ्न सिन्हा ने इस बारे में कहा, “अगर मोदी जी के मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनने का सफर संभव है, तो ममता जी क्यों नहीं? उनकी नेतृत्व क्षमता और जनता से जुड़ाव उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाता है।”
शत्रुघ्न सिन्हा की राजनीतिक पारी
बिहारी बाबू के नाम से मशहूर सिन्हा ने बीजेपी छोड़ने के बाद टीएमसी का दामन थामा है। उनके इस कदम को कई लोगों ने बीजेपी की आलोचना करने के रूप में देखा है। इस पर सिन्हा ने कहा, “यह मेरी नई शुरुआत है, और मैं बंगाल की जनता की सेवा के लिए तत्पर हूं।”
उन्होंने आगे कहा, “बीजेपी नेताओं का मेरी पुरानी फिल्मों के क्लिप शेयर करना और मुझे बदनाम करने की कोशिश करना मेरे लिए कोई नई बात नहीं है। मैंने हमेशा अपने काम से जवाब दिया है।”
इसके अलावा, संदेशखाली में देरी से कार्रवाई का बचाव करते हुए, सिन्हा ने कहा कि आलोचना करने वाले ‘खिसियाई बिल्ली खम्भा नोंचे’ मुहावरे को सार्थक कर रहे हैं। उन्होंने टीएमसी पर लगे गंभीर आरोपों को भी खारिज किया, यह कहते हुए कि ये आरोप बेबुनियाद हैं और राजनीति से प्रेरित हैं।
बंगाल की राजनीति में आने वाले समय में बड़े बदलावों की उम्मीद है, और शत्रुघ्न सिन्हा का मानना है कि ममता बनर्जी इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा सकती हैं। उनके इस विश्वास के साथ, बंगाल की जनता के सामने एक नया विकल्प और आशा की किरण स्पष्ट रूप से उभर कर आ रही है। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की तिथियां नजदीक आ रही हैं, बंगाल की राजनीतिक फिजाओं में बदलाव की सुगबुगाहट महसूस की जा सकती है। ममता बनर्जी की नेतृत्व क्षमता के प्रशंसक उन्हें देश की अगली प्रधानमंत्री के रूप में देखने की इच्छा रखते हैं। वहीं, उनके विरोधी उनकी राजनीति को चुनौती देते हुए नई रणनीतियां बना रहे हैं।
ममता की नेतृत्व यात्रा
ममता बनर्जी की राजनीतिक यात्रा हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रही है। उन्होंने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की स्थापना की और बंगाल में अपनी मजबूत पहचान बनाई। उनके नेतृत्व में टीएमसी ने कई बार सत्ता में आकर राज्य के विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसके अलावा, ममता ने हमेशा सामाजिक न्याय और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई है।
वहीं, शत्रुघ्न सिन्हा का राजनीतिक सफर भी कम रोमांचक नहीं है। एक समय में बीजेपी के प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे सिन्हा ने बाद में टीएमसी का दामन थाम लिया। उनका कहना है कि वे बंगाल के विकास के लिए और अधिक सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं।
इस बीच, राजनीतिक विश्लेषक भी ममता बनर्जी के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं पर चर्चा कर रहे हैं। उनका मानना है कि अगर ममता इस चुनाव में अपने राजनीतिक कौशल का सही प्रदर्शन करती हैं और अन्य राज्यों में भी अपनी पार्टी का प्रभाव बढ़ाती हैं, तो उनकी संभावनाएं और भी मजबूत हो सकती हैं।
बंगाल की जनता के लिए यह चुनाव न केवल एक राजनीतिक परिवर्तन का समय है, बल्कि यह उनके लिए नई उम्मीदों और संभावनाओं का द्वार भी खोलता है। ममता बनर्जी और शत्रुघ्न सिन्हा दोनों ही इस बदलाव के दूत के रूप में उभर सकते हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे ये नेता बंगाल की राजनीति को नई दिशा प्रदान करते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर किस तरह के बदलाव लाने में सफल होते हैं।