मुंबई (राघव): मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी चुनाव नजदीक हैं और उससे पहले महाराष्ट्र की सियासत में हलचल तेज हो गई है। इस बार झटका मिला है उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) को, जहां पार्टी की प्रमुख महिला प्रवक्ता और पूर्व पार्षद संजना घाड़ी ने शिवसेना छोड़कर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट का दामन थाम लिया है। रविवार 13 अप्रैल को संजना घाड़ी अपने पति संजय घाड़ी और कई समर्थकों के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आवास पर पहुंचीं और वहां विधिवत शिवसेना (शिंदे गुट) की सदस्यता ली। यह तब हुआ है जब बीएमसी चुनाव की घोषणा से पहले ही सभी दल अपने संगठन मजबूत करने में जुटे हैं।
संजना घाड़ी उद्धव ठाकरे के गुट में हाल ही में प्रवक्ता नियुक्त की गई थीं। वह चैनल डिबेट्स में पार्टी की मुखर आवाज बन चुकी थीं और अक्सर ठाकरे गुट की नीतियों का मजबूती से बचाव करती नजर आती थीं। ऐसे में उनका अचानक पार्टी छोड़ना शिवसेना यूबीटी के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो संजना घाड़ी शिवसेना यूबीटी में अंदरूनी राजनीति से नाराज थीं। दरअसल हाल ही में जब पार्टी ने प्रवक्ताओं की एक नई सूची जारी की थी, तो पहले उस लिस्ट में उनका नाम शामिल नहीं किया गया। बाद में विरोध और चर्चा के बाद उनका नाम जोड़ा गया। माना जा रहा है कि इसी बात से खिन्न होकर उन्होंने पार्टी बदलने का फैसला कर लिया।
संजना घाड़ी सिर्फ एक प्रवक्ता नहीं थीं बल्कि वह मुंबई में ठाकरे गुट का एक जाना-पहचाना चेहरा थीं। पूर्व में पार्षद रह चुकी संजना को जमीनी संगठन में भी मजबूत पकड़ के लिए जाना जाता रहा है। ऐसे में उनके जाने से पार्टी को चुनाव से पहले न केवल रणनीतिक बल्कि छवि के स्तर पर भी नुकसान हुआ है। यह घटना ऐसे वक्त पर हुई है जब महाविकास अघाड़ी यानी एमवीए (शिवसेना यूबीटी, कांग्रेस और एनसीपी शरद पवार गुट) लोकसभा चुनाव के लिए साथ मिलकर लड़ रही है। वहीं दूसरी ओर महायुति (शिवसेना शिंदे गुट, भाजपा और अजित पवार गुट) लगातार एमवीए में सेंध लगा रही है। बीएमसी चुनाव से पहले ठाकरे गुट से एक प्रमुख चेहरे का जाना भी इसी सियासी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।