वाशिंगटन: इस्राइल-ईरान के बढ़ते तनाव के मध्य अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रविवार को जॉर्डन, सऊदी अरब, तुर्की और मिस्र के विदेश मंत्रियों से टेलीफोन पर संपर्क किया। साथ ही, अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भी अपने सऊदी और इस्राइली समकक्षों के साथ बातचीत की। यह सब तब हुआ जब मध्य पूर्व में संकट के गहराने के संकेत मिले, जिसके चलते ईरान ने इस्राइल पर हमला किया।
तुर्की
ईरान ने इस्राइल पर 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलें दागीं, जिसे तेहरान ने सीरिया में अपने वाणिज्य दूतावास पर 1 अप्रैल को हुए हमले के जवाब में बताया। इस्राइली, अमेरिकी और सहयोगी बलों ने लगभग सभी ईरानी ड्रोन और मिसाइलों को उनके लक्ष्यों तक पहुँचने से पहले ही मार गिराया।
इस बीच, ब्लिंकन का यह कदम अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंताओं को शांत करने के लिए उठाया गया प्रतीत होता है। उन्होंने इन देशों के साथ मिलकर संकट को कम करने के लिए एक व्यापक रणनीति पर चर्चा की। इस्राइल और ईरान के बीच बढ़ती हुई दूरियां सिर्फ उनके दोनों देशों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसका असर पूरे मध्य पूर्व पर पड़ रहा है।
मिस्र और जॉर्डन
विशेषज्ञों का कहना है कि इस संकट का समाधान खोजने में राजनयिक मार्ग की अहम भूमिका होगी। ब्लिंकन की इन बातचीतों को उसी प्रयास के तहत देखा जा रहा है। जॉर्डन और मिस्र, जो कि ऐतिहासिक रूप से मध्य पूर्व के संकटों में मध्यस्थता करते आए हैं, उन्हें इस बार भी एक महत्वपूर्ण रोल अदा करने की उम्मीद है।
सऊदी अरब और तुर्की के साथ अमेरिकी रक्षा मंत्री की बातचीत भी कुछ ऐसी ही थी। यहाँ मुख्य रूप से सुरक्षा और रक्षा सहयोग पर जोर दिया गया, ताकि किसी भी आक्रामक कार्रवाई का जवाब दिया जा सके।
सऊदी अरब और इस्राइल
अंततः, इस क्षेत्रीय संकट का मुकाबला करने के लिए इन बातचीतों में एकता और सहयोग की भावना को बल दिया गया है। ईरान के उत्तरदायी कदमों के जवाब में, इस्राइल और सहयोगी देशों की सामूहिक रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना इस दौरान प्रमुख रहा है। जिससे यह संदेश भी जाता है कि अगर ईरान अपनी आक्रामक नीतियों से बाज नहीं आता, तो उसे इस का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
इस प्रकार, ब्लिंकन और ऑस्टिन की ये बातचीतें न सिर्फ तात्कालिक संकट के निवारण के लिए थीं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने के लिए थीं कि मध्य पूर्व में शांति स्थापित हो, और संकट का समाधान दीर्घकालिक और स्थायी हो।