संभाजीनगर, महाराष्ट्र: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन उवैसी ने बुधवार को नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स (NRC) को सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) के साथ देखे जाने की आवश्यकता पर जोर दिया और आरोप लगाया कि ये कदम विशेष रूप से अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों को उनके ही देश में परेशानी में डालने के इरादे से उठाए जा रहे हैं।
CAA, NRC और NPR की चुनौतियां
उन्होंने महाराष्ट्र के संभाजीनगर शहर में AIMIM नेताओं की एक बैठक की अध्यक्षता की, जिसके बाद वे एक इफ्तार पार्टी में शामिल हुए। उवैसी का मानना है कि NPR और NRC, CAA के प्रकाश में देखे जाने चाहिए, जिसे वे मानते हैं कि यह सीधे तौर पर देश के अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों को लक्ष्य बनाता है।
उनके अनुसार, ये नीतियाँ न सिर्फ़ समुदायों के बीच विभाजन पैदा कर रही हैं बल्कि भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त समानता और स्वतंत्रता के अधिकारों को भी खतरे में डाल रही हैं। उवैसी ने इस बैठक में उपस्थित AIMIM नेताओं से इन मुद्दों के खिलाफ जनता को जागरूक करने और उन्हें एकजुट करने का आह्वान किया।
इसके अलावा, उवैसी ने सरकार के इन पहलुओं को लागू करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाया, जोर देकर कहा कि इनका मकसद न्याय और समानता की भावना को चोट पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से भारतीय समाज के विविधतापूर्ण ताने-बाने को नुकसान पहुंचेगा और यह देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए भी खतरा है।
उवैसी ने आगे बताया कि अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों को इस तरह की नीतियों से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूती से खड़ा होने की जरूरत है। उन्होंने इस दिशा में सामूहिक प्रयासों और संवाद को आगे बढ़ाने की बात कही, ताकि ऐसी नीतियों के प्रभावों को कम किया जा सके।
सामाजिक एकता की दिशा में कदम
उवैसी ने यह भी बल दिया कि सामाजिक एकता और भाईचारे की भावना को मजबूत करना होगा, जो कि इस समय बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि विविधता में एकता भारत की ताकत है, और इसे किसी भी हाल में कमजोर नहीं होने दिया जा सकता। उन्होंने सभी धर्मों, जातियों और समुदायों के लोगों से इस दिशा में काम करने की अपील की।
अंत में, उवैसी ने राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता की भावना को बढ़ावा देने के लिए सरकार से संवेदनशील और समावेशी नीतियां अपनाने का आग्रह किया। उनका मानना है कि एक विविधतापूर्ण और एक जुट समाज ही भारत को विश्व मंच पर मजबूती प्रदान कर सकता है। उन्होंने सभी नागरिकों से एक-दूसरे के प्रति सहिष्णुता और समझदारी का व्यवहार करने की अपील की, ताकि देश में शांति और सौहार्द का माहौल बना रहे।
उवैसी का यह भी कहना था कि ऐसे समय में, जब दुनिया भर में भेदभाव और असमानता के मुद्दे उभर रहे हैं, भारत को एक आदर्श उदाहरण पेश करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि समाज में सभी के समान अधिकारों और अवसरों की गारंटी देने से ही एक स्थिर और समृद्ध भारत का निर्माण संभव है।
इसके अलावा, उवैसी ने सामाजिक न्याय और समता के महत्व पर बल देते हुए, सरकार से उन नीतियों और कार्यक्रमों को पुनर्विचार करने की मांग की, जो विशेष रूप से अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों के हितों के खिलाफ हैं। उन्होंने जोर दिया कि एक न्यायपूर्ण समाज ही वास्तव में विकसित और प्रगतिशील हो सकता है।