जबरन वसूली के एक मामले में पांच पंजाबी नागरिकों की जमानत ने समाज में विवाद की नई चिंगारी भड़का दी है। यह घटना कनाडा के पील पुलिस द्वारा दक्षिण एशियाई समुदाय के खिलाफ फिरौती वसूलने के आरोप में अरुणदीप थिंद (39), गगन अजीत सिंह (23), अनमोल दीप सिंह (23), हर्षमीत कौर (25), और लैमनजोत कौर की गिरफ्तारी के बाद और भी गर्मागर्म हो गई है।
जमानत की नीतियों पर उठे सवाल
इन व्यक्तियों की जमानत पर रिहाई के बाद सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता ने समाज में नाराजगी की लहर दौड़ा दी है। विशेषकर, उनके द्वारा सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करने की कार्रवाई को लेकर कड़ी आलोचना की जा रही है। कनाडा में आगामी चुनावों में प्रधानमंत्री पद के मुख्य दावेदार और विरोधी कंजर्वेटिव पार्टी के नेता, पियरे पोइलिवेरे ने ट्रूडो सरकार की अपराधियों को पकड़ने और छोड़ने की नीति की घोर निंदा की है।
पियरे पोइलिवेरे का कहना है कि जबरन वसूली करने वालों के लिए न्यूनतम कैद की सजा को रद्द करना, उन्हें जेल से बाहर निकलने और फिर से अपराध करने का मौका दे रहा है। कंजर्वेटिव पार्टी का कहना है कि अगर वह सत्ता में आती है, तो जबरन वसूली करने वालों के लिए न्यूनतम कैद की सजा को फिर से लागू किया जाएगा।
इस विवाद ने न केवल जबरन वसूली के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया पर प्रश्न चिह्न लगाया है बल्कि नागरिक सुरक्षा के मुद्दे पर भी गहन चिंता जताई है। कंजर्वेटिव पार्टी के अनुसार, जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान कनाडा भर में जबरन वसूली की दर में 218% की वृद्धि हुई है।
कंजर्वेटिव पार्टी का यह भी आरोप है कि नागरिकों को हिंसा और आतंक की धमकियां दी जा रही हैं, और ट्रूडो की ‘पकड़ो और छोड़ो’ की नीति इस समस्या को और बढ़ावा दे रही है। यह स्थिति कनाडा के शांतिपूर्ण शहरों और कस्बों को विदेशी गिरोहों और आतंक फैलाने वालों के निशाने पर ला रही है।