भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और झारखंड से सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया। उन्होंने महुआ मोइत्रा, तृणमूल कांग्रेस (TMC) की पूर्व सांसद, पर गंभीर आरोप लगाए हैं। निशिकांत दुबे की शिकायत पर, लोकपाल ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ CBI जांच का आदेश दिया है।
सांसद का आरोप और लोकपाल का आदेश
दुबे के अनुसार, महुआ मोइत्रा ने संसद में पैसे लेकर प्रश्न पूछे, जिसे ‘कैश फॉर क्वेरी’ के नाम से जाना जाता है। इस घटना को उन्होंने X पर उजागर किया था। उनकी शिकायत पर, लोकपाल ने CBI को इस मामले की जांच करने की हिदायत दी।
महुआ मोइत्रा का पक्ष और सुप्रीम कोर्ट
महुआ मोइत्रा ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने अपनी सांसदी गंवाने और उपरोक्त आरोपों के खिलाफ याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई मई में निर्धारित है।
न्यायालय और लोकसभा सचिवालय की भूमिका
इस मामले में पहले भी सुनवाई हो चुकी है, जहां न्यायालय ने लोकसभा सचिवालय से इस बाबत जवाब मांगा था। लोकसभा महासचिव की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से अपील की कि संस्थागत अनुशासन के आंतरिक मामले में दखल न दिया जाए।
आरोपों की जड़ और एथिक्स कमेटी की जांच
निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर के समक्ष महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाया था। इसके बाद, एथिक्स कमेटी द्वारा इस मामले की जांच की गई थी। इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीति और नैतिकता के बीच के संबंधों पर फिर से प्रकाश डाला है।
यह मामला न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़ी कार्रवाई का संकेत देता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे राजनीतिक अखाड़े में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है। अब सभी की निगाहें CBI की जांच पर और सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई हैं, जिससे इस मामले की सच्चाई सामने आएगी।