भोपाल (नेहा): मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के किसानों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाने के उद्देश्य से एक नई और दूरदर्शी पहल की शुरुआत की है, जिसका नाम है ‘मध्यप्रदेश कृषक कल्याण मिशन’। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में इस महत्वाकांक्षी मिशन को सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई। यह मिशन प्रदेश के लाखों किसानों को एक साथ जोड़ते हुए उन्हें कृषि, पशुपालन, उद्यानिकी, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण जैसे विविध क्षेत्रों में आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। योजना का उद्देश्य किसानों को सिर्फ खेती तक सीमित नहीं रखना, बल्कि उन्हें ऊर्जा उत्पादन, प्रसंस्करण उद्योग और आधुनिक तकनीकों से भी जोड़कर ‘अन्नदाता से उद्यमी’ बनाने की दिशा में आगे बढ़ाना है। सरकार ने एकीकृत दृष्टिकोण अपनाते हुए सभी कृषि आधारित योजनाओं को एक मंच पर लाकर संपूर्ण ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की योजना बनाई है। इस मिशन में नवाचार, जैविक खेती, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु-अनुकूल कृषि, और किसान हितों की रक्षा को प्राथमिकता दी गई है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि कृषि को टिकाऊ, तकनीकी और पर्यावरण के अनुकूल बनाने में भी सहायता मिलेगी।
किसान मेले और तकनीकी मार्गदर्शन की व्यवस्था:-
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह भी घोषणा की कि प्रदेश के सभी संभागों में इस वर्ष किसान मेले आयोजित किए जाएंगे। इन मेलों में कृषि, खाद्य प्र-संस्करण, उद्यानिकी और पशुपालन से संबंधित आधुनिक तकनीकें और अनुसंधान किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। आगामी 3 मई को मंदसौर में पहला संभाग स्तरीय किसान मेला आयोजित किया जाएगा, जिसके बाद अक्टूबर में एक राज्य स्तरीय भव्य मेला प्रस्तावित है। मेले में आधुनिक कृषि उपकरणों की प्रदर्शनी, विशेषज्ञों के व्याख्यान और इंटरैक्टिव सत्र होंगे।
अन्नदाता से ऊर्जादाता तक: सौर पंपों का अभियान”-
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के किसानों को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक वर्ष में 10 लाख सौर ऊर्जा पंप वितरित किए जाएंगे। एक हॉर्सपावर से लेकर दस हॉर्सपावर तक के सोलर पंपों की स्थापना हेतु किसानों को नाममात्र की राशि देकर कनेक्शन दिए जाएंगे। अपर मुख्य सचिव नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग श्री मनु श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि इस योजना के तहत पिछले तीन दिनों में ही 17 हजार आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा क्रांति लाने की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगी।
किसानों को प्रोत्साहन राशि: ‘अन्नदाता मिशन’ के अंतर्गत पांच शर्तें:-
1. पराली जलाने से मुक्त खेती को अपनाना
2. कृषि ऋण का समय पर भुगतान
3. कम उर्वरक उपयोग वाली दलहन/तिलहन फसलों का उत्पादन
4. जल संरक्षण वाली खेती पद्धति अपनाना
5. कीटनाशकों का न्यूनतम उपयोग
इस योजना में सरकार किसानों को प्रति एकड़ 1500 से 3000 रुपये तक प्रोत्साहन राशि देगी। इस योजना का उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से निपटने, पर्यावरण संरक्षण और जैविक खेती को प्रोत्साहित करना है।
मध्यप्रदेश की कृषि में अभूतपूर्व प्रगति” की है:-
1. कृषि उत्पादकता वर्ष 2002-03 में 1195 किग्रा/हेक्टेयर थी, जो 2024 में 2393 किग्रा/हेक्टेयर हो गई।
2. फसल उत्पादन 224 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 723 लाख मीट्रिक टन हुआ है।
3. कृषि विकास दर 3% से बढ़कर 9.8% तक पहुँच गई।
4. कृषि बजट 600 करोड़ से बढ़कर 27,050 करोड़ रुपये हो गया है।
5. प्रदेश की GDP में कृषि का योगदान अब 39% है।
यह आँकड़े दर्शाते हैं कि प्रदेश में कृषि अब केवल जीवनयापन का साधन नहीं रही, बल्कि यह आर्थिक प्रगति का इंजन बन चुकी है।
फसल से लेकर फैक्ट्री तक: वैल्यू चैन का सशक्तिकरण:-
मिशन के तहत खाद्य प्रसंस्करण और कृषि आधारित उद्योगों को सशक्त किया जाएगा। किसानों को बेहतर दाम दिलाने के लिए वैल्यू-चेन का निर्माण और मौजूदा प्रणाली को सुदृढ़ किया जाएगा। इसके साथ ही मंडियों का आधुनिकीकरण, टेक्नोलॉजी आधारित पारदर्शी नीलामी व्यवस्था, और फसल की ट्रैसेबिलिटी सुनिश्चित करने की दिशा में काम होगा।
जैविक खेती और पारंपरिक कृषि ज्ञान का संरक्षण:-
मिशन के अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं में जैविक खेती, प्राकृतिक कृषि और ‘गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिसेज़’ (GAP) को बढ़ावा देना शामिल है। किसानों को प्रमाणन, मार्केट लिंकेज और उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। पारंपरिक कृषि पद्धतियों का दस्तावेजीकरण और शोध के माध्यम से संरक्षण किया जाएगा।
पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर विशेष फोकस:-
सहकारिता के माध्यम से दूध संकलन का कवरेज 26,000 गांवों तक बढ़ाया जाएगा और 50 लाख लीटर प्रतिदिन दूध प्र-संस्करण का लक्ष्य तय किया गया है। बेसहारा गौवंश की देखभाल के लिए प्रदेशव्यापी नेटवर्क तैयार किया जाएगा। मत्स्य पालन में ‘केज फार्मिंग’, ‘बायोफ्लॉक तकनीक’, शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण, और 1.47 लाख किसानों को ‘मछुआ क्रेडिट कार्ड’ दिए जाएंगे। इससे जल क्षेत्र में भी किसानों को रोजगार और लाभ का अवसर मिलेगा।
जलवायु-अनुकूल खेती और जोखिम न्यूनीकरण:-
मिशन में जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए कृषि क्षेत्र को जलवायु-अनुकूल बनाने की कार्ययोजना भी शामिल है। इसके तहत जलवायु अनुकूल बीजों का विकास, सूक्ष्म सिंचाई, फसल बीमा, और रिस्क मिटिगेशन तकनीकों को बढ़ावा दिया जाएगा।
अपेक्षित परिणाम और दीर्घकालिक लक्ष्य:-
1. 10% कृषि भूमि जैविक/प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाई जाएगी
2. सूक्ष्म सिंचाई क्षेत्रफल 20% तक बढ़ेगा
3. फसल बीमा कवरेज 50% तक पहुँचेगा
4. कृषि यंत्रीकरण में 1.5 गुना वृद्धि होगी
6. पशुधन उत्पादकता में 50% वृद्धि होगी
7. मत्स्य उत्पादन 10,288 मीट्रिक टन तक पहुँचेगा
8. दूध संकलन की क्षमता 50 लाख लीटर प्रतिदिन होगी
9. प्रदेश को नरवाई जलाने से मुक्त किया जाएगा
प्रशासनिक ढांचा और संचालन प्रणाली:-
‘मध्यप्रदेश कृषक कल्याण मिशन’ की साधारण सभा के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे, जबकि कार्यकारिणी समिति का नेतृत्व मुख्य सचिव करेंगे। जिला स्तर पर इसका संचालन कलेक्टर की अध्यक्षता में किया जाएगा। इससे मिशन के लक्ष्यों की निगरानी और समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित होगा।