जयपुर (राघव): महादेव बेटिंग ऐप मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम जयपुर पहुंची हुई है और छापेमारी कर रही है। 40 हजार करोड़ रुपये के बेटिंग ऐप स्कैम मामले में ईडी की टीम कार्रवाई कर रही है। ईडी की टीम छत्तीसगढ़ से आई हुई है। दुबई-बेस्ड यह ऐप कई तरह की सट्टेबाजी के कारोबार से जुड़ा हुआ है। इस मामले में पिछले महीने AGTF ने भी जयपुर में कार्रवाई की थी। महादेव ऐप से जुड़े सट्टेबाजी गिरोह को मानसरोवर इलाके से पकड़ा गया था। उनके कब्जे से लैंड रोवर डिफेंडर और वॉल्वो XC60 जैसी कारें भी बरामद हुई थीं। जयपुर के सोडाला इलाके में ईडी की टीम की कार्रवाई चल रही है।
छत्तीसगढ़ से शुरू हुए इस सट्टा कारोबार की नकेल तो वैसे दुबई में बैठे लोगों के पास थी, लेकिन बिजनेस का ज्यादातर पैसा भारत से ही जुटाया गया। इस ऐप से जुड़े तार और खाते खंगालने के लिए भारतीय एजेंसियों ने पिछले 2 साल से काफी मेहनत की है। ऐसे में आपके मन में भी इस ऐप को लेकर बहुत सारे सवाल उमड़ रहे होंगे कि आखिर इसका नाम महादेव ऐप ही क्यों पड़ा और कैसे मामूली से बेटिंग कारोबार से 6 हजार करोड़ रुपये का बिजनेस खड़ा हो गया। इस ऐप को शुरू करने वालों को भी इतने बड़े कारोबार की उम्मीद नहीं थी, लेकिन जैसा कि पहले भी कई बार कहा जा चुका है कि आपदा में अवसर होते हैं। महादेव ऐप शुरू करने वालों को भी कोरोना महामारी जैसी आपदा के बीच अवसर दिखा। लोग घरों में बंद थे और ज्यादातर समय खाली रहते थे। जाहिर है उन्हें कुछ रोमांचक चाहिए था, जिसमें पैसा भी बनाया जा सके। इस मौके का फायदा उठाकर ऐप का विस्तार किया गया और जल्द ही इसके ग्राहकों का बेस 50 लाख से ऊपर चला गया।
छत्तीसगढ़ के रहने वाले 3 साधारण युवकों सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल और अतुल अग्रवाल ने साल 2016 में इसे लॉन्च किया था। शुरुआत में इस ऐप पर ऑनलाइन सट्टेबाजी होती थी, जिस पर क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन जैसे खेलों के साथ पोकर, तीन पत्ती, वर्चुअल गेम यहां तक की चुनाव को लेकर भी भविष्यवाणी पर दांव लगाया जाता था. बाद में यह ऐप जुआ गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कुख्यात हो गया। यह ऐप एक जटिल नेटवर्क पर चलता था, जिसे मुख्य रूप से दुबई से चलाया जाता था और मनी लॉन्ड्रिंग व प्रभावशाली व्यक्तियों से संबंधों से फलता-फूलता रहा।