मथुरा (नेहा): विश्व विख्यात राधारानी मंदिर में राधारानी भगवान श्रीकृष्ण के साथ विराजमान होकर दर्शन देती है। वहीं विशेष आयोजनों पर राधारानी की सबसे प्रिय सखी ललिता व विशाखा राधाकृष्ण के साथ मंदिर परिसर में विराजमान होती हैं। रविवार को गोस्वामी समाज की आमसहमति के चलते राधाकृष्ण के साथ आठों सखियों की मूर्ति विराजमान किया गया, लेकिन गोस्वामी समाज के कुछ लोगों के विरोध के चलते आठ सखियों में से छह सखियों की मूर्ति दोपहर बाद हटा ली गई।
शनिवार को चेन्नई के जय हनुमान ट्रस्ट के अध्यक्ष मुरलीधर स्वामी द्वारा एक करोड़ की लगात से राधारानी की अष्ट सखियों की मूर्ति तैयार कराकर सेवायत दाऊदयाल को सौंपी गईं थीं। रविवार को शृंगार आरती के बाद राधाकृष्ण के साथ आठों सखी भी विराजमान हुईं, लेकिन दोपहर बाद गोस्वामी समाज के रसिक मोहन गोस्वामी, देवेश गोस्वामी आदि के विरोध के चलते अष्ट सखियों की मूर्ति मंदिर परिसर से हटा दी गईं। जबकि राधारानी मंदिर में राधाकृष्ण के ही दर्शन होते हैं। विशेष आयोजनों पर राधारानी की सबसे प्रिय सखी ललिता व विशाखा उनके साथ खड़ी रहती हैं।
रसिक मोहन गोस्वामी ने बताया कि यह मंदिर सिर्फ राधाकृष्ण के नाम से प्रसिद्ध है। पूर्व में भी दोनों के ही दिव्य विग्रह मंदिर परिसर में मौजूद रहे हैं। अष्ट सखियों के विराजमान होने से मंदिर की मर्यादा भंग हो रही थी। उमाशंकर गोस्वामी ने कहा कि गोस्वामी समाज के लिखित स्वीकृति के बाद ही अष्ट सखियों की मूर्ति मंदिर में विराजमान हुई थीं, लेकिन कुछ लोगों द्वारा विरोध किया गया। रिसीवर प्रवीन गोस्वामी ने बताया कि कुछ लोगों के विरोध के चलते अष्ट सखियों की मूर्ति हटा दी हैं। अगर जब मूर्ति लगवानी ही नहीं थी तो उन्हें क्यों विराजमान किया गया। अष्ट सखियों की मूर्ति विराजमान के बाद इस तरह हटाना बिल्कुल गलत है।