भारत में ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के बीच, राजस्थान पुलिस ने साइबर अपराधियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पिछले वर्ष, पुलिस ने 80,000 सिम कार्ड और मोबाइल नंबरों को अवरुद्ध किया था, और इस वर्ष के पहले दो महीनों में अतिरिक्त 10,000 से अधिक सिम और फोन के IMEI नंबरों को ब्लॉक किया गया है।
सोशल मीडिया: साइबर ठगी का नया अखाड़ा
अलवर, भरतपुर, और मेवात क्षेत्र, जो कि हरियाणा में स्थित है, ऑनलाइन ठगों के लिए एक सुरक्षित आश्रय बन चुके हैं। मेवात से झारखंड के जामताड़ा की तुलना में अधिक धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं। इन गैंग्स के खिलाफ, पुलिस ने हाल ही में 10,183 सिम कार्ड और मोबाइल के IMEI नंबरों को ब्लॉक किया है।
मेवात क्षेत्र में ठगी की ज्यादातर घटनाएं KYC अपडेट, सोशल मीडिया पर सस्ते वाहनों की बिक्री, और धोखाधड़ी वाले SMS के जरिए हुई हैं। ऑनलाइन ठगी के इन मामलों में, अलवर सबसे अधिक चर्चा में रहा है।
बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू, दिल्ली, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से पुलिस टीमें अलवर में छापेमारी कर चुकी हैं। इन मामलों में कई आरोपी अलवर के पाए गए हैं।
साइबर ठग, अपने शिकार को फंसाने के लिए मुख्य रूप से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग करते हैं, जहां लोग अक्सर सेक्सटॉर्शन का शिकार होते हैं। इसके अलावा, वे विभिन्न वेबसाइटों और फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए भी लोगों से संपर्क करते हैं, उनसे बैंक खातों की जानकारी हासिल करते हैं, और ठगी की घटनाओं को अंजाम देते हैं।
राजस्थान पुलिस की यह कार्रवाई ऑनलाइन ठगी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल अपराधियों को एक सख्त संदेश जाता है बल्कि आम जनता में भी इस बात का संदेश जाता है कि साइबर सुरक्षा को लेकर सतर्क रहना कितना आवश्यक है। यह दर्शाता है कि पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां ऑनलाइन अपराधों के खिलाफ लगातार विकासशील तकनीकों का उपयोग कर रही हैं ताकि इंटरनेट को एक सुरक्षित स्थान बनाया जा सके।