दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में अपनी गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत के मामले में उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है। यह मामला शराब नीति से जुड़ा हुआ है, जिसमें उन्हें अप्रैल के नौ तारीख को आर्थिक अपराध निरोधक शाखा (ED) द्वारा गिरफ्तार किया गया था। केजरीवाल ने इस फैसले के खिलाफ दस अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
उच्चतम न्यायालय में सुनवाई की तारीख
सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर 15 अप्रैल को सुनवाई निर्धारित की गई है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। केजरीवाल का कहना है कि लोकसभा चुनावों के मद्देनजर उनकी गिरफ्तारी अनुचित थी और इसका उद्देश्य उन्हें राजनीतिक रूप से प्रभावित करना था।
उनके अनुसार, गिरफ्तारी के लिए जिन दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था, वे विश्वसनीय नहीं हैं। यह बयान उन्होंने अपनी याचिका में दिया है, जिसमें उन्होंने जल्दी रिहाई की मांग की है। केजरीवाल के अनुसार, यदि उन्हें जल्दी रिहा नहीं किया जाता है, तो यह विपक्षी नेताओं के खिलाफ झूठे आरोपों के लिए एक प्रकार से मिसाल बन जाएगा।
इस मामले में न केवल राजनीतिक बल्कि कानूनी पहलू भी शामिल हैं। केजरीवाल ने अपनी याचिका में कहा है कि ED ने उनकी गिरफ्तारी के लिए अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। वे अब उच्चतम न्यायालय से इस फैसले को पलटने की आशा कर रहे हैं।
इस प्रकार, यह मामला न केवल दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए बल्कि पूरे देश के लिए न्यायिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण परीक्षण बन गया है। सभी की नजरें अब 15 अप्रैल को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं।