नई दिल्ली (नेहा): दिल्ली सरकार ने आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा राजनीतिक झटका देते हुए पूर्व आप सरकार द्वारा की गई कम से कम 194 मनोनीत नियुक्तियों को रद्द कर दिया है। यह फैसला हाल ही में सेवा विभाग द्वारा 4 अप्रैल को जारी आदेश के बाद सामने आया है, जिसमें स्पष्ट किया गया कि विभिन्न बोर्डों, समितियों, अकादमियों और प्राधिकरणों में की गई ये नियुक्तियां अब निरस्त कर दी गई हैं। आदेश के अनुसार, कम से कम 22 संस्थानों में की गई नामांकनों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है। इनमें प्रमुख संस्थान जैसे – दिल्ली जल बोर्ड (DJB), पशु कल्याण बोर्ड, दिल्ली हज समिति, तीर्थयात्रा विकास समिति, उर्दू अकादमी, हिंदी अकादमी, साहित्य कला परिषद, पंजाबी अकादमी और संस्कृत अकादमी शामिल हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन नियुक्तियों में अधिकांश राजनीतिक पद थे जिन्हें सरकार बदलने के बाद अक्सर बदल दिया जाता है। अधिकारी ने कहा, “इन पदों पर नियुक्त लोग – चाहे वे विधायक हों या विषय विशेषज्ञ – वर्तमान सरकार की नीतियों के कार्यान्वयन में भूमिका निभाते हैं। हर सरकार इन संस्थाओं में अपने विश्वासपात्रों को बैठाना पसंद करती है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कुछ पद विषय विशेषज्ञों के लिए होते हैं, जैसे पशु कल्याण बोर्ड या वृक्ष प्राधिकरण में, जबकि अन्य विधायकों और राजनेताओं के लिए होते हैं। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के उपाध्यक्ष और दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड (DAMB) के अध्यक्ष आमतौर पर निर्वाचित विधायक ही होते हैं। सरकार बदलने के साथ ही, ऐसे नियुक्त व्यक्तियों की सांविधानिक और प्रशासनिक वैधता पर सवाल खड़े हो जाते हैं।
रद्द की गई नियुक्तियों में वर्तमान और पूर्व विधायक, दोनों शामिल हैं। सेवा विभाग के आदेश में स्पष्ट रूप से सभी विभागों को इन निकायों के पुनर्गठन के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत नए प्रस्ताव लाकर नए सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। उप सचिव (सेवाएं) भैरव दत्त द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में लिखा गया है, “सक्षम प्राधिकारी द्वारा गैर-सरकारी पदाधिकारियों और विभिन्न निकायों के सदस्यों के कार्यकाल को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जा रहा है। इसके अलावा GNCTD (दिल्ली सरकार) के अंतर्गत आने वाले सभी विभागों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाले निकायों में भी इसी तरह की कार्रवाई सुनिश्चित करें।”
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम आगामी राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। इससे न केवल आम आदमी पार्टी की पूर्व प्रशासनिक छवि को झटका लगा है, बल्कि नई सरकार ने यह संकेत भी दे दिया है कि वह अपने तरीके से शासन चलाना चाहती है, जिसमें पिछली सरकार की नियुक्तियों के लिए कोई जगह नहीं होगी।