नई दिल्ली (नेहा): विधायक मोहन सिंह बिष्ट को मुस्तफाबाद से प्रत्याशी घोषित कर भाजपा उनकी नाराजगी दूर करने में सफल रही है, परंतु कई क्षेत्रों में टिकट से वंचित रह गए नेता बगावत की राह पकड़ने लगे हैं। इससे पार्टी के सामने असंतुष्ट नेताओं व उनके समर्थकों को मनाकर चुनाव प्रचार में लगाने की चुनौती खड़ी हो गई है। यदि नेताओं का असंतोष बढ़ा तो पार्टी की परेशानी बढ़ेगी। पार्टी ने चार जनवरी को 29 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की थी। उसके बाद महरौली विधानसभा क्षेत्र से घोषित प्रत्याशी गजेंद्र यादव के विरोध में कुछ लोगों ने प्रदेश भाजपा कार्यालय में आकर प्रदर्शन किया था। कुछ अन्य क्षेत्रों में भी कार्यकर्ताओं की नाराजगी की बात सामने आई थी, लेकिन 11 जनवरी को जारी दूसरी सूची के बाद कई सीटों पर असंतोष है।
करावल नगर से पांच बार के विधायक मोहन सिंह बिष्ट का टिकट काटकर कपिल मिश्रा को प्रत्याशी घोषित किया गया। इसका विरोध करते हुए विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा करते हुए आसपास के सीटों पर भी भाजपा को नुकसान होने की बात कह दी। पार्टी ने उनकी नाराजगी दूर करते हुए रविवार को मुस्तफाबाद से प्रत्याशी घोषित किया। इसके बाद टिकट से वंचित रह गए पूर्व विधायक नीलदमन खत्री ने नरेला से घोषित प्रत्याशी राजकरण खत्री के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया।
उन्होंने प्रेसवार्ता कर प्रत्याशी नहीं बदलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की चेतावनी दी है। सुल्तानपुर माजरा से कर्म सिंह कर्मा को प्रत्याशी बनाने के विरोध में वहां के कुछ कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। मुंडका से टिकट नहीं मिलने से पूर्व महापौर मास्टर आजाद सिंह और द्वारका से पूर्व महापौर मुकेश सूर्यान नाराज हैं। पार्टी के सामने असंतुष्ट नेताओं को मनाने की बड़ी चुनौती है।