नई दिल्ली (किरण): आखिरकार दिल्ली की जनता को अपना नया मुख्यमंत्री मिल ही गया। भले ही आम आदमी पार्टी AAP के लिए यह बहुत कठिन समय है, लेकिन केजरीवाल के इस अहम निर्णय से लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर आतिशी को ही सीएम क्यों बनाया गया। वे सुनीता केजरीवाल को भी मुख्यमंत्री बना सकते थे।
आम आदमी पार्टी के विधायकों की बैठक से पहले यह कयास भी लगाए जा रहे थे कि केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बना सकते हैं, लेकिन आप की बैठक में शायद सुनीता के नाम पर सहमति नहीं बनी। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि अगर सुनीता केजरीवाल दिल्ली की सीएम बनती तो आम आदमी पार्टी पर परिवारवाद का आरोप भी लगता।
आज दिल्ली की जनता के लिए बड़ा दिन है। क्योंकि उन्हें अपना नया मुख्यमंत्री मिल गया है। लेकिन आतिशी को मुख्यमंत्री बनाना केजरीवाल की मजबूरी है या फिर उन्होंने आतिशी पर सबसे ज्यादा विश्वास जताया है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि आतिशी तब से ही पार्टी में है, जब 2013 में आम आदमी पार्टी की स्थापना हुई थी। ऐसे में केजरीवाल ने सबसे ज्यादा आतिशी पर ही विश्वास जताया है।
राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता है। क्योंकि राजनीति में ऐसे उदारण बार-बार देखने को मिलते रहते हैं। लोग मौका पाते ही अपने फायदे के लिए विश्वासघाट कर देते हैं। ऐसे में केजरीवाल ने किसी और पर विश्वास जताना सही नहीं समझा। आतिशी केजरीवाल की बहुत करीबी सहयोगी हैं।
वहीं, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री चुनी गई हैं। एक खास बात यह भी है कि वर्तमान में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद आतिशी देश में दूसरी महिला मुख्यमंत्री बन गई हैं।
आप की बैठक से पहले चर्चा यह भी थी कि आम आदमी पार्टी विधायक कुलदीप कुमार को दिल्ली का सीएम बनाकर पूरे देश में दलित कार्ड खेल सकती है। साथ ही एक वजह यह भी है कि कुलदीप का कद पार्टी में बहुत ऊंचा नहीं है, इसलिए वे आप के सामने ज्यादा मांग भी नहीं रखते और एक तरह से वे कंट्रोल वाले रिमोट की तरह सरकार को चलाते।
अरविंद केजरीवाल द्वारा सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने सरकारी आवास को छोड़ने की है। वहीं, लोगों के मन में भी यह सवाल है कि क्या केजरीवाल अपने महल जैसे घर को छोड़ देंगे। कानूनी तौर पर देखें तो अब मुख्यमंत्री आवास पर केजरीवाल नहीं बल्कि आतिशी का हक है। लेकिन ऐसे में केजरीवाल को अपना सरकारी घर छोड़ना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि, अगर आतिशी ने खुद ही सरकारी आवास लेने से मना कर दिया तो केजरीवाल को अपना महल जैसा घर नहीं छोड़ना पड़ेगा।
दिल्ली के कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से विधायक आतिशी आम आदमी पार्टी की नेता हैं और पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) की सदस्य हैं। वर्तमान में आतिशी केजरीवाल सरकार में शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, संस्कृति और पर्यटन मंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाल रही हैं। इससे पहले उन्होंने पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार के रूप में भी काम किया है।
2019 के लोकसभा चुनावों में, आतिशी आम आदमी पार्टी द्वारा घोषित उम्मीदवारों में शामिल थीं। साथ ही उन्हें संगठन को तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने राजधानी में सरकारी स्कूलों में शिक्षा की स्थिति को सुधारने में अहम भूमिका निभाई।