नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह मणिपुर में जातीय संघर्ष के कारण आंतरिक रूप से विस्थापित हुए लगभग 18,000 लोगों के लिए आगामी लोकसभा चुनावों के लिए मतदान सुविधाओं की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई करेगा।
मतदान सुविधाओं की उठाई गई मांग
मणिपुर की दो लोकसभा सीटों के लिए मतदान दो चरणों में 19 और 26 अप्रैल को होगा। यह याचिका मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला तथा मनोज मिश्रा की एक पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेखित की गई थी, जिसमें वकील ने अदालत को बताया कि पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होना है।
वोटिंग की सुविधा के लिए आग्रह
जातीय संघर्ष के चलते मणिपुर में आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हजारों नागरिकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस याचिका के माध्यम से, वकीलों ने इन लोगों के लिए मतदान की सुविधाओं की मांग की है, जिससे वे अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।
चुनावी समर में विस्थापितों की आवाज
इस याचिका का उद्देश्य मणिपुर में विस्थापित लोगों की आवाज को मजबूती देना है। जातीय संघर्ष ने उनके जीवन में अनेक चुनौतियाँ पैदा की हैं, और अब जब लोकसभा चुनाव सिर पर हैं, तो इन विस्थापितों के लिए मतदान की सुविधा उनके मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने का एक माध्यम है।
अदालत में उठी विस्थापितों की गूंज
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय इस मुद्दे पर एक अहम पहल है। यह दर्शाता है कि न्यायिक प्रणाली भी मणिपुर में विस्थापितों के मुद्दे को गंभीरता से ले रही है। यह याचिका और इस पर होने वाली सुनवाई मणिपुर में जातीय संघर्ष से प्रभावित लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है।
समाज में जागरूकता और सहयोग की आवश्यकता
इस याचिका और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से एक महत्वपूर्ण संदेश जाता है कि समाज में हर व्यक्ति को वोट देने का अधिकार है, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में क्यों न हो। यह एक ऐसी पहल है जिससे समाज में जागरूकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा मिलता है।
विस्थापितों के लिए आगे का रास्ता
इस याचिका की सुनवाई से उम्मीद है कि मणिपुर में विस्थापित लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने में सहायता मिलेगी। यह उनके लिए न केवल एक वोटिंग की सुविधा है, बल्कि एक सामाजिक और न्यायिक पहचान प्रदान करने का एक माध्यम भी है।