चुनाव आयोग (EC) ने हाल ही में एक नई पहल के तहत अपनी वेबसाइट पर चुनावी बॉन्डों के संबंध में नवीनतम डेटा प्रकाशित किया है। यह कदम राजनीतिक वित्तपोषण की पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में उठाया गया है। 16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से प्राप्त इस ताजा जानकारी में वित्तीय वर्ष 2017-18 से संबंधित बॉन्ड्स की विस्तृत डेटा शामिल है।
विस्तार से डेटा विवरण
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने 14 मार्च को बॉन्ड से संबंधित विस्तृत जानकारी चुनाव आयोग को सौंपी। हालांकि, इस डेटा में बॉन्डों के अद्वितीय अल्फा न्यूमेरिक नंबर्स का उल्लेख नहीं था। इस पहल के तहत, चुनाव आयोग ने दो अलग-अलग सूचियों में अप्रैल 2019 के बाद खरीदे गए या कैश किए गए बॉन्डों की जानकारी प्रकाशित की।
इन सूचियों में से एक में बॉन्ड खरीदने वालों का विवरण शामिल है, जबकि दूसरी सूची में राजनीतिक दलों को प्राप्त हुए बॉन्डों की जानकारी दी गई है। इस खुलासे से यह भी पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कुल 6,986 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड कैश कराए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी को 2019-20 में सबसे अधिक 2,555 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं।
दूसरी ओर, डीएमके को चुनावी बॉन्डों के माध्यम से 656.5 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं, जिसमें लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन के फ्यूचर गेमिंग से मिले 509 करोड़ रुपए भी शामिल हैं। यह डेटा न केवल राजनीतिक दलों के वित्तपोषण की पारदर्शिता को बढ़ाता है, बल्कि चुनावी बॉन्डों के माध्यम से धन के प्रवाह को समझने में भी मदद करता है।
इस पहल से आम जनता को यह समझने में सहायता मिलेगी कि किस प्रकार से राजनीतिक दल अपनी धनराशि का प्रबंधन करते हैं और यह भी कि कैसे चुनावी बॉन्ड राजनीतिक फंडिंग के पारदर्शी साधन के रूप में काम कर सकते हैं। चुनाव आयोग द्वारा यह कदम निश्चित रूप से राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।