पंजाब में ईद उल फितर का त्योहार इस वर्ष विशेष उत्साह और सम्मान के साथ मनाया गया। राज्य के प्रमुख राजनेताओं ने मस्जिदों का दौरा कर मुस्लिम समुदाय को शुभकामनाएं दीं। इस दौरान, सभी ने सामाजिक सद्भाव और एकता की मिसाल पेश की।
ईद के दीदार
लोकसभा चुनावों के मद्देनजर लगाई गई आचार संहिता के बीच, राज्य के कई उम्मीदवारों ने मस्जिदों में पहुंचकर इस पवित्र दिन की शुरुआत की। अमृतसर से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार और मंत्री, कुलदीप धालीवाल, ने अमृतसर में ईद की नमाज अदा की। पठानकोट में, कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक ने स्थानीय मस्जिद में ईद मनाई।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और जालंधर से कांग्रेस के टिकट पर उम्मीदवार, चरणजीत सिंह चन्नी ने भी जालंधर में ईद की नमाज पढ़ी। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के साथ समय बिताया और उन्हें शुभकामनाएं दीं। पटियाला से आप के उम्मीदवार गुरमीत सिंह मीत हेयर ने भी ईद के मौके पर मस्जिद में माथा टेका।
इस वर्ष की ईद उल फितर पंजाब में खास तौर पर यादगार बनी, जहां राजनीतिक दलों के बीच उच्च स्तरीय सहयोग और भाईचारे की भावना देखने को मिली। राजनेताओं का यह आपसी मिलन, सामाजिक सद्भाव के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
ईद उल फितर के इस पावन पर्व पर, पंजाब की गलियों में जो उत्सव की रौनक देखने को मिली, वह न सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लिए, बल्कि समूचे पंजाब के लिए एकता और सौहार्द का प्रतीक बन गई। नेताओं द्वारा इस तरह के सामाजिक संगठन में शिरकत करना, आपसी समझ और सामंजस्य को बढ़ाता है।
राजनेताओं की इस सक्रिय भागीदारी से न केवल उनके निजी बंधन मजबूत हुए, बल्कि इसने सामाजिक समरसता की नई दिशा भी स्थापित की। ऐसे मेलजोल से यह संदेश गया कि राजनीति में भले ही प्रतिस्पर्धा हो, सामाजिक उत्सवों में सभी एक हैं।
ईद उल फितर के इस सुअवसर पर, पंजाब के नेता कैसे मिलजुल कर एक दूसरे के साथ त्योहार मनाते हैं, यह न सिर्फ उनके व्यक्तिगत चरित्र को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि सभ्यता और संस्कृति की रक्षा में सभी एक साथ हैं। इस प्रकार, ईद का यह पर्व न केवल खुशियों का पर्व है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है।
पंजाब की इस ईद की गूँज ने राजनीतिक अखाड़ों को भी एक नई सोच दी है। अब जब चुनावी सरगर्मियां अपने चरम पर हैं, तो यह आपसी संबंध और समझदारी नई राजनीतिक दिशाओं को जन्म दे सकती है।
इस तरह, ईद उल फितर ने एक बार फिर से सिद्ध किया कि त्योहार कोई भी हो, खुशियाँ और शुभकामनाएं सभी के लिए होती हैं और इसे मनाने का हक़ सभी को है।