मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनावों की सरगर्मी के बीच कांग्रेस पार्टी के सामने उम्मीदवारों के चयन की चुनौती बड़ी हो गई है। विशेषकर, ग्वालियर, मुरैना, और खंडवा जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी के भीतर सहमति नहीं बन पा रही है।
मुरैना में माथापच्ची
मुरैना, जो चंबल अंचल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, वहाँ कांग्रेस पार्टी के भीतर उम्मीदवार को लेकर दो मत सामने आए हैं। एक ओर पार्टी के कुछ नेता जौरा विधायक पंकज उपाध्याय को टिकट देने के पक्ष में हैं, तो दूसरी ओर कुछ नेता पूर्व विधायक नीटू सिकरवार के नाम की पैरवी कर रहे हैं।
इस सियासी द्वंद्व की मुख्य वजह यह है कि भाजपा ने ठाकुर समाज से उम्मीदवार उतारा है, जिसके चलते कांग्रेस के एक वर्ग का मानना है कि ब्राह्मण उम्मीदवार को उतारने से अन्य समाजों के वोट मिल सकते हैं। वहीं, नीटू सिकरवार के समर्थन में उतरे नेताओं का कहना है कि ठाकुर वोटर मुरैना लोकसभा में निर्णायक स्थिति में हैं और सिकरवार परिवार का क्षेत्र में मजबूत प्रभाव है।
ग्वालियर और खंडवा में भी पेच
ग्वालियर और खंडवा जैसी सीटों पर भी कांग्रेस पार्टी के भीतर उम्मीदवारों के चयन को लेकर स्पष्टता का अभाव है। ग्वालियर में, जहाँ एक ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व रखने वाली सीट है, वहाँ पार्टी के भीतर से विभिन्न नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। खंडवा में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है, जहाँ पार्टी अभी तक अपने उम्मीदवार के नाम को लेकर स्पष्ट नहीं हो पाई है।
इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट होता है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के सामने न केवल विपक्षी दलों से चुनौती है, बल्कि पार्टी के भीतर से भी उम्मीदवारों के चयन को लेकर एक बड़ी चुनौती है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इन चुनौतियों का सामना कैसे करती है और किस तरह से अपने उम्मीदवारों को अंतिम रूप देती है।