अमृतसर (राघव): कोयला खनन के इतिहास में पहली बार स्टील कैप्सूल तकनीक अपनाने वाले अमृतसर के इंजीनियर जसवंत सिंह गिल को मरणोपरांत ‘बांग्ला गौरव सम्मान-2024’ से सम्मानित किया गया है। कोलकाता में आज आयोजित एक समारोह में गिल के बेटे डॉ. सरप्रीत सिंह गिल ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। डॉ. सरप्रीत ने कहा कि यह उनके पिता के जीवन बचाने के वीरतापूर्ण दृष्टिकोण को एक और श्रद्धांजलि है। गिल ने 1989 में पश्चिम बंगाल के कुख्यात रानीगंज कोयला खदान कांड में कोयला खदान के अंदर फंसे 65 कोयला खनिकों की जान बचाई थी। उन्होंने खनिकों को बचाने के लिए एक कैप्सूल तैयार किया था, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हर कोई सुरक्षित और जीवित बाहर आए।
गिल एडिशनल चीफ माइनिंग इंजीनियर के पद पर तैनात थे और उन्हें बचाव कार्यों का प्रशिक्षण दिया गया था। अपने साहसिक कारनामे के लिए गिल को कई पुरस्कार और सम्मान मिले थे। बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार अभिनीत बायोपिक मिशन रानीगंज गिल के जीवन और वीरतापूर्ण कार्य पर आधारित थी। गिल ने 1961 और 1965 के बीच धनबाद (झारखंड) के एक संस्थान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान/भारतीय खनन विद्यालय (IIT-ISM) से खनन इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। 33 साल के करियर के बाद, वे कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, धनबाद से कार्यकारी निदेशक (सुरक्षा और बचाव) के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
उन्हें नवंबर 1991 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा “सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक” से सम्मानित किया गया था। नवंबर 2019 में गुरु नानक देव के 550वें गुरु पर्व समारोह पर राज्य सरकार द्वारा गिल को दुनिया के शीर्ष 550 पंजाबियों में से एक के रूप में भी सम्मानित किया गया था। उनके वीरतापूर्ण कार्य के सम्मान में, अमृतसर में मजीठा रोड पर एक चौक का नाम उनके नाम पर रखा गया है।