नई दिल्ली (राघव): संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) आम जनता से केंद्र की कॉरपोरेट समर्थक और किसान विरोधी भाजपा सरकार को दंडित करने का आह्वान करता है। मोदी सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति को जानबूझकर खराब करने के लिए ऐसी नीतियां बनाई हैं और उन्हें लागू किया है कि किसानों की जमीन हड़पने और उन्हें खेती से बाहर करने में मदद मिले और इसे बढ़ावा दिया जा सके।
तीनों कृषि कानून और मुक्त व्यापार समझौते कॉरपोरेट को बढ़ावा देने के लिए थे, जो फिर फसल उत्पादन और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पर नियंत्रण कर सकते हैं और मुनाफाखोरी करने के लिए इस पर एकाधिकार जमा सकते हैं और इससे आम जनता पर उत्पीड़न और बढ़ेगा। संयुक्त किसान मोर्चा 18वीं लोकसभा के आम चुनाव को कृषि के निगमीकरण के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ाने तथा कृषि और कृषि आधारित औद्योगिक विकास की वैकल्पिक नीति को कॉरपोरेट एकाधिकार के चंगुल से बाहर निकालने के लिए एक अवसर के रूप में देखता है।
सार्वजनिक निवेश, उत्पादक सहकारी समितियों और अन्य जन-केंद्रित मॉडलों पर आधारित वैकल्पिक नीति — किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने, मजदूरों को सम्मानजनक जीवन के लिए मजदूरी दिलाने और सभी वर्गों के लोगों के लिए पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा हासिल करने के लिए जरूरी है। एसकेएम आम जनता से अपील करता है कि वे किसानों को ऋणग्रस्तता से मुक्त करने के लिए नीतियों में बदलाव के लिए सरकार में बदलाव सुनिश्चित करें, ताकि पर्याप्त सार्वजनिक निवेश, कृषि के विकास के लिए ब्याज मुक्त ऋण, खाद्य सुरक्षा और गरीबी उन्मूलन सुनिश्चित किया जा सके।
संयुक्त किसान मोर्चा दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़े समुदायों के लोगों से अपील करता है कि वे भाजपा की निजीकरण-ठेका मजदूर-भर्ती पर प्रतिबंध की नीतियों को ठुकराकर अपने आरक्षण के अधिकार की रक्षा करें। भर्ती पर प्रतिबंध के कारण रेलवे सहित केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में 30 लाख से अधिक पद रिक्त हैं।