नई दिल्ली (हेमा): भारतीय चुनाव प्रक्रिया में ईवीएम की विश्वसनीयता हमेशा एक महत्वपूर्ण विषय रही है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए यह स्पष्ट किया कि अगर किसी प्रत्याशी को ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका होती है, तो वे चुनाव आयोग से शिकायत कर सकते हैं। यह शिकायत चुनाव परिणामों की घोषणा के सात दिन के भीतर की जा सकती है।
प्राप्त शिकायतों के आधार पर, चुनाव आयोग प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र से संबंधित विधानसभा क्षेत्रों की 5 प्रतिशत ईवीएम मशीनों का यादृच्छिक निरीक्षण करेगा। इस जाँच की सारी लागत शिकायत करने वाले उम्मीदवार को वहन करनी होगी। यह व्यवस्था इस बात को सुनिश्चित करती है कि केवल गंभीर आरोप ही जाँच के लिए आगे बढ़ाए जाएँ।
इसके अतिरिक्त, अगर जाँच के दौरान ईवीएम में कोई खामी पाई जाती है, तो उम्मीदवार द्वारा की गई जाँच की लागत की प्रतिपूर्ति की जाएगी। यह उपाय न केवल चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाता है, बल्कि उम्मीदवारों को अपनी चिंताओं को वैध तरीके से उठाने का मौका भी देता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय ईवीएम और वीवीपैट पर्ची के सौ प्रतिशत मिलान की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करने के बाद आया है। इससे इतर, कोर्ट ने बेलट पेपर से चुनाव कराने की मांग को भी अस्वीकार किया। इस प्रकार, ईवीएम का उपयोग अभी भी मुख्य चुनावी प्रक्रिया के रूप में बना रहेगा।