नई दिल्ली: शनिवार को एक अदालत में पेशी के दौरान, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया सहित अन्य आरोपियों ने दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुकदमे को जानबूझकर लंबा खींचा है।
ED ने स्पेशल जज कवेरी बावेजा के समक्ष सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध किया। जज ने सिसोदिया की हिरासत की समाप्ति पर उन्हें 18 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में रखने का आदेश दिया।
ED ने यह भी दावा किया कि सिसोदिया ने नीति का मसौदा तैयार किया था और उन्हें और आम आदमी पार्टी (AAP) के अन्य सदस्यों को 100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत प्राप्त हुई थी।
मुकदमे में देरी का आरोप
ED के आरोपों के मुताबिक, सिसोदिया और अन्य आरोपियों ने मामले को जटिल बनाकर और जानबूझकर देरी करके मुकदमे को बाधित किया है। इस आरोप के मद्देनजर, ED ने उनकी जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया है।
सिसोदिया के खिलाफ यह मामला न केवल दिल्ली की राजनीति में बल्कि पूरे देश में व्यापक चर्चा का विषय बन गया है। आरोप है कि उन्होंने दिल्ली आबकारी नीति के मसौदे को तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाई थी और इसके बदले में उन्होंने और उनकी पार्टी के अन्य सदस्यों ने भारी राशि की रिश्वत प्राप्त की थी।
इस मामले की सुनवाई अब 18 अप्रैल तक स्थगित कर दी गई है, जिससे राजनीतिक और कानूनी हलकों में इसके परिणामों को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
सिसोदिया के विरोधियों ने इस मामले को उनके खिलाफ एक मजबूत सबूत के रूप में पेश किया है, जबकि उनके समर्थक इसे राजनीतिक प्रतिशोध का एक हिस्सा बता रहे हैं।
आने वाले दिनों में, इस मामले की सुनवाई और इसके परिणाम न केवल दिल्ली की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी गहरे प्रभाव डाल सकते हैं। इसलिए, सभी की निगाहें इस मामले के विकास पर टिकी हुई हैं।