श्रीनगर: राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं से कहा कि यदि वे अनुच्छेद 370 के निरसन के निर्णय से संतुष्ट हैं, तो उन्हें पार्टी के लिए वोट नहीं देना चाहिए। उन्होंने यह भी अपील की कि केंद्र शासित प्रदेश के लोग भाजपा और इसकी “बी” और “सी” टीमों को हराकर दिल्ली को एक संदेश भेजें।
अनुच्छेद 370 पर केंद्रित वार्ता
अब्दुल्ला ने यहां एनसी मुख्यालय नवा-ए-सुबह में उत्तर कश्मीर संसदीय सीट के निर्वाचन क्षेत्र प्रभारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की, एक पार्टी वक्तव्य के अनुसार। उन्होंने अनुच्छेद 370 के निरसन के निर्णय पर अपनी असंतोष और इसे उलटने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस बैठक में अब्दुल्ला ने जोर देकर कहा कि अनुच्छेद 370 का निरसन जम्मू-कश्मीर की जनता के साथ एक विश्वासघात है और इसे पुनः स्थापित करने की दिशा में काम करने का आह्वान किया। उन्होंने भाजपा और इसके सहयोगी दलों को दिल्ली में एक स्पष्ट संदेश भेजने के लिए उन्हें हराने की अपील की।
फारूक अब्दुल्ला का यह बयान जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक संवाद को नया आयाम देता है। उनके इस वक्तव्य से यह स्पष्ट होता है कि अनुच्छेद 370 का मुद्दा आगामी चुनावों में एक प्रमुख चर्चा का विषय बनेगा। उन्होंने जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनके अधिकारों की वापसी और राज्य की विशेष स्थिति को पुनः प्राप्त करने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है।
इस संदर्भ में, अब्दुल्ला की अपील ने जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के बीच एक नई राजनीतिक जागृति और चेतना को उत्पन्न किया है। उनकी बातों से यह भी स्पष्ट होता है कि अनुच्छेद 370 का मुद्दा सिर्फ एक कानूनी प्रश्न नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की आत्मा और पहचान से जुड़ा हुआ है। इसके निरसन ने न केवल उनकी स्वायत्तता को प्रभावित किया है, बल्कि उनके अधिकारों और आत्म-निर्णय की भावना को भी आहत किया है।
इस प्रकार, फारूक अब्दुल्ला की इस अपील से जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में एक नई चर्चा की शुरुआत होती है, जिसमें अनुच्छेद 370 का मुद्दा केंद्रीय भूमिका निभाएगा। यह देखा जाना बाकी है कि आगामी चुनावों में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा और जम्मू-कश्मीर के लोग किस तरह अपनी राजनीतिक और सामाजिक इच्छाओं को व्यक्त करेंगे।