मुरादाबाद (नेहा): रेलवे स्टेशन से महिला कछुआ तस्कर को मंगलवार को जीआरपी ने गिरफ्तार किया है। सद्भावना एक्सप्रेस (14015) में रुखसाना प्रतिबंधित 163 कछुओं को बोरी में बंद करके हरदोई से पंजाब के लुधियाना शहर ले जा रही थी। महिला उन्नाव जिले के मुहल्ला गोताखोर, कस्बा शुक्ला गंज की रहने वाली है। वह कछुओं की डिलीवरी पंजाब के लुधियाना शहर में किसी व्यापारी को करने जा रही थी। कछुओं की बाजार में कीमत दो लाख रुपये बताई जा रही है। इनकाे घरों में फिश एक्वेरियम में इस्तेमाल के लिए बाजार में बेचने का उद्देश्य था। महिला के विरुद्ध भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम-1972 में प्राथमिकी दर्ज कर जेल भेज दिया गया है। पकड़े गए 163 कछुओं में तीन ब्लैक पांड प्रजाति के हैं और 160 इंडियन रफ्ड प्रजाति के हैं।
सदभावना एक्सप्रेस में बोरी में बंद कछुओं की हलचल देखकर ट्रेन में चेकिंग कर रही जीआरपी व आरपीएफ की टीम को शक हुआ। जीआरपी ने इसकी सूचना रेलवे कंट्रोल रूम को दी। ट्रेन में ही बोरी खोलकर देखा तो उसमें जिंदा कछुए थे। जब सद्भावना एक्सप्रेस मुरादाबाद स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर रुकी तो जीआरपी और आरपीएफ की टीम ने महिला को कछुओं समेत नीचे उतार लिया। जीआरपी ने वन विभाग के क्षेत्रीय वनाधिकारी गिरीश चंद्र श्रीवास्तव को सूचना दी। क्षेत्रीय वनाधिकारी गिरीश चंद्र श्रीवास्तव टीम के साथ पहुंचे और कछुओं की प्रजाति की पहचान की गई, जिसमें 163 कछुओं में तीन ब्लैक पांड प्रजाति के हैं और 160 इंडियन रफ्ड प्रजाति के पाए गए। दोनों ही प्रजाति के कछुए बोरी में अलग-अलग थैली में बंद थे।
कछुओं की तस्करी गैरकानूनी है। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि लुधियाना में किसी व्यापारी द्वारा यह कछुए मंगाए गए थे। प्रतिबंधित ब्लैक पांड कछुओं की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी मांग है और इनकी तस्करी से जुड़े मामलों में मोटा मुनाफा कमाया जाता है। कछुओं को वन विभाग की टीम जलीय क्षेत्र में छोड़ने की बात कहकर अपने साथ ले गई। क्षेत्रीय वनाधिकारी गिरीश चंद्र श्रीवास्तव ने अपील की है कि अगर वे कहीं भी संरक्षित वन्यजीवों की तस्करी से संबंधित कोई जानकारी किसी को मिलती है तो पुलिस या प्रशासन को दी जा सकती है। कछुए की तस्करी से पर्यावरण संतुलन पर गलत असर पड़ता था।