कोलकाता (राघव): सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में चल रहे छात्रों के हिंसक आंदोलन व अशांति के मद्देनजर वहां विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई कर रहे भारतीय, नेपाली और भूटानी छात्र अपने देश वापस लौट रहे हैं। पड़ोसी देश के बिगड़ते हालात को देखते हुए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने इन छात्रों की सुरक्षित वापसी में मदद के लिए बंगाल में भारत- बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपने अधिकार क्षेत्र में स्थित विभिन्न भूमि चेकपोस्टों आइसीपी पेट्रापोल, घोजाडांगा एलसीएस गेदे और महादीपुर में विशेष सहायता डेस्क स्थापित किए हैं।
दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के प्रवक्ता व डीआइजी अमरीश कुमार आर्य ने रविवार को एक बयान जारी कर बताया कि अभी तक बीएसएफ ने 572 भारतीय छात्रों, 133 नेपाली छात्रों और चार भूटानी छात्रों की सुरक्षित वापसी में पूरी सहायता की है। वापस लौटने वाले छात्रों की किसी भी स्वास्थ्य संबंधी चिंता को दूर करने के लिए चिकित्सा सहायता डेस्क भी स्थापित किए हैं। विशेष सहायता डेस्क के जरिए किसी भी आवश्यक दस्तावेज़ में सुधार करने में भी मदद की जा रही है।
बीएसएफ डीआइजी ने बताया पड़ोसी देश में बिगड़ते हालात के मद्देनजर बीएसएफ बार्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के साथ लगातार संपर्क में है। इस समन्वय के चलते रात के समय में भी छात्रों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए उत्तर 24 परगना जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित दक्षिण एशिया के सबसे बड़े एकीकृत जांच चौकी (आइसीपी) पेट्रापोल में इमिग्रेशन डेस्क को 24 घंटे खुला रखने का निर्माण लिया गया है। जिससे घर लौटने वाले सभी छात्रों के लिए निरंतर और सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित होगा। अधिकारी ने बताया कि संकट के मद्देनजर बीएसएफ और बीजीबी ने निकासी को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए एक मजबूत और सहयोगी दृष्टिकोण बनाए रखा है। सभी एलसीएस और आइसीपी पर बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक छात्र को आवश्यक सहायता और सहयोग मिले।