Toronto: पूर्व कनाडाई प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने कनाडा की ट्रूडो सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वह खालिस्तानियों और जिहादियों जैसे विभाजनकारी समूहों को बढ़ावा देना बंद करे। हार्पर, जो 2006 से 2015 तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहे, ने कनाडा की आव्रजन और विदेशी नीतियों की तीखी आलोचना की। हार्पर ने यह टिप्पणी अब्राहम ग्लोबल पीस इनिशिएटिव (AGPI) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में की। इस दौरान उन्होंने AGPI के संस्थापक और सीईओ एवी बैनलो के साथ चर्चा की। बैनलो ने नेशनल पोस्ट में प्रकाशित अपने लेख में हार्पर के बयान को उद्धृत करते हुए लिखा कि हार्पर ने कहा, हमें जिहादियों, यहूदी विरोधियों, खालिस्तानियों, तमिल टाइगर्स और अन्य विभाजनकारी समूहों को बढ़ावा देना बंद करना होगा। हमें अपनी आव्रजन प्रणाली पर सख्त सवाल उठाने की जरूरत है कि हम लोगों को कैसे चुनते हैं।”
हार्पर का यह बयान ऐसे समय आया है जब कनाडा और भारत के संबंध बेहद तनावपूर्ण हैं। उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्ते मजबूत थे, लेकिन वर्तमान में दोनों के बीच तनाव बढ़ गया है। तनाव तब बढ़ा जब कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों पर आरोप लगाए। भारत ने इन आरोपों को सख्ती से खारिज कर दिया और ट्रूडो से सबूत मांगे, जो उन्होंने अभी तक पेश नहीं किए हैं। हार्पर ने खालिस्तानी मुद्दे को कनाडा की नीतियों का हिस्सा बनाने पर सवाल उठाया और कहा कि आव्रजन नीति में सुधार की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि कनाडा को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यहां विभाजनकारी विचारधाराओं को बढ़ावा न मिले। “हम अपने समाज में पुराने नफरतों को नहीं ला सकते। इसे रोकने के लिए हमें कदम उठाने होंगे।” वर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी समर्थकों के बारे में कहा कि वे पूरे सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत समर्थक हिंदू भी पूरे हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते। हालांकि, ट्रूडो को खालिस्तानी समूहों के प्रति नरम रुख रखने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। हार्पर ने कनाडा की आव्रजन नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह नीति उन लोगों को शामिल कर रही है जो विभाजनकारी और हिंसक विचारधारा रखते हैं। उन्होंने AGPI कार्यक्रम में यह भी कहा कि कनाडा को अपनी नीतियों को संतुलित करना होगा ताकि बहुसंस्कृतिवाद के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।