नई दिल्ली (राघव): भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने देश के ज्यूडिशियरी सिस्टम में वंशवाद और पुरुष, हिंदू और अपर कास्ट का वर्चस्व होने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि निचली अदालतों में 50 फीसदी महिलाओं की नियुक्ति हुई है और ये संख्या और बढ़ेगी। साथ ही ज्यूडिशियरी में ऊंचे और जिम्मेदार पदों पर भी महिलाएं होंगी। पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने एक न्यूज़ एजेंसी को दिए इंटरव्यू के दौरान यह बात कही है। जब उनसे पूछा गया कि क्या इंडियन ज्यूडिशियरी में वंशवाद है और क्या एलीट क्लास, अपर कास्ट और पुरुषों का वर्चस्व है। उन्होंने जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता और पूर्व सीजेआई वाई. वी. चंद्रचूड़ का जिक्र करते हुए वंशवाद पर सवाल पूछा।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वह इन बातों से सहमत नहीं हैं, बल्कि जर्नलिस्ट ने जो बातें कहीं, स्थिति उससे बिल्कुल उलट है। उन्होंने कहा कि निचली अदालतें ज्यूडिशियर सिस्टम का आधार हैं और वहां अगर देखेंगे तो जो नई भर्तियां हुई हैं, उनमें 50 पर्सेंट महिलाएं हैं। कई राज्य ऐसे भी हैं, जहां की जिला अदालतों में 60 से 70 पर्सेंट महिलाएं नियुक्त की गई हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक हायर ज्यूडिशियरी की बात है तो वो अभी दस साल पहले के लीगल प्रोफेशन को दर्शाती हैं और आने वाले समय में बड़े पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी भी देखी जाएगी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अभी निचली अदालतों में महिलाओं की नियुक्ति हो रही है और बहुत जल्द आप देखेंगे कि बड़े और जिम्मेदार पदों पर महिलाएं होंगी।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘अभी शिक्षा विशेष रूप से लीगल एजुकेशन की पहुंच महिलाओं तक बढ़ी है। आपको लॉ स्कूल और कॉलेज में जेंडर बैलेंस दिखता है वो अब भारतीय न्यायपालिका के निचले स्तर पर भी नजर आने लगा है। जहां तक लिंग संतुलन की बात है जिला अदालतों में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है और आने वाले समय में ये और बढ़ेगी।’ वंशवाद के सवाल पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके पिता ने उनसे कहा था कि जब तक वह जज हैं तब तक पूर्व सीजेआई किसी कोर्ट में प्रैक्टिस न करें. इस वजह से जस्टिस चंद्रचूड़ मे हार्वर्ड लॉ स्कूल में तीन साल पढ़ाई की। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी प्रैक्टिस तब शुरू की जब उनके पिता रिटायर हो गए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने जर्नलिस्ट से कहा कि अगर वह देखेंगे तो ज्यादातर वकील और जज वो हैं जो पहली बार लीगल प्रोफेशन में आए हैं, यानी उनका बैकग्राउंड लॉ का नहीं है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जहां एलीट क्लास, अपर कास्ट, हिंदुओं के वर्चस्व का सवाल है तो स्थिति इसके बिल्कुल उलट है, इंडियन ज्यूडिशियरी में ऐसा कुछ भी नहीं है।