पोरबंदर (राघव): गुजरात के पोरबंदर की एक अदालत ने 1997 के हिरासत में यातना मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को ‘उचित संदेह से परे’ साबित नहीं कर सका। पोरबंदर के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश पंड्या ने शनिवार को इस मामले में भट्ट को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि साक्ष्य के अभाव में भट्ट को संदेह का लाभ दिया गया। यह मामला आईपीसी की धारा 330 (कबूलनामा प्राप्त करने के लिए चोट पहुंचाना) और 324 (खतरनाक हथियारों से चोट पहुंचाना) से संबंधित था।
संजीव भट्ट को पहले जामनगर के 1990 के हिरासत में मौत के मामले में आजीवन कारावास और 1996 में राजस्थान के एक वकील को फंसाने के लिए ड्रग्स रखने के मामले में 20 साल की सजा मिली थी। वे फिलहाल राजकोट सेंट्रल जेल में बंद हैं।