पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, ममता बनर्जी ने सोमवार को देश के भविष्य के लिए एक गंभीर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यदि बीजेपी सत्ता में आती है, तो देश में चुनावों का आयोजन नहीं होगा। उनके अनुसार, बीजेपी की सरकार चाहती है कि देश में केवल एक ही नेता, एक देश, एक भाषण और एक भोजन हो।
बीजेपी का भविष्य का दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री बनर्जी का यह बयान देश की राजनीतिक स्थिति पर गहरी चिंता जताता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि बीजेपी आगामी चुनावों में जीत जाती है, तो यह देश के लोकतांत्रिक स्वरूप को बदल सकता है। उन्होंने आगाह किया कि ऐसा होने पर, देश में फिर कभी चुनाव नहीं होंगे और सरकार निरंकुश हो जाएगी।
इस बीच, भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में विस्थापित नागरिकों के मतदान अधिकार को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। अदालत ने लगभग 18,000 विस्थापित नागरिकों के लिए वोटिंग सुविधा की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में बेंच ने कहा कि इस स्टेज पर हस्तक्षेप करना चुनावों में रुकावट डाल सकता है।
यह मामला मणिपुर में विस्थापित नागरिकों की व्यापक समस्या को दर्शाता है। मणिपुर निवासी नौलक खामसुअनथांग और अन्य ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में उठाया था। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि ये विस्थापित लोग अब दूसरे राज्यों में रहते हैं और उन्हें मतदान का अधिकार चाहिए।
आने वाले दिनों में मणिपुर की दो लोकसभा सीटों के लिए मतदान की तैयारी चल रही है। मई 2023 से मणिपुर निरंतर हिंसा का सामना कर रहा है, जिसने 160 से अधिक लोगों की जान ले ली है। इस तरह के हालात में, यह सुनिश्चित करना कि हर नागरिक को वोट देने का अधिकार मिले, एक बड़ी चुनौती है।
ममता बनर्जी की ये टिप्पणियां और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय भारतीय लोकतंत्र के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत देते हैं। यह स्पष्ट करता है कि आगामी चुनाव न केवल एक राजनीतिक घटना है, बल्कि यह देश के लोकतांत्रिक स्वरूप को परिभाषित करने वाला भी है।