बैंकाक (राघव): थाईलैंड में पिछले साल समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलने के बाद यह अब देशभर में लागू हो गया है। दक्षिण-पूर्व एशिया में ऐसा करने वाला थाईलैंड पहला देश बना है। गुरुवार को थालैंड में बड़ी संख्या में समलैंगिक जोड़ों ने सामूहिक विवाह में हिस्सा लिया। विवाह की कानूनी मान्यता मिलने के बाद समलैंगिक जोड़ों में खुशी की लहर है। वह सरकार के इस कदम को सपने सच होने जैसा बता रहे हैं। इस खुशी में गुरुवार को पूरे थाईलैंड में लोगों ने जश्न मनाया। समलैंगिक विवाह कानून की मांग करने वाले कार्यकर्ताओं ने इसे बड़ी जीत कहा।
एक दशक से भी अधिक समय से थाईलैंड में एलजीबीटीक्यू (LGBTQ+ ) समुदाय समलैंगिक विवाह की मांग कर रहा था। थाईलैंड की संसद से पारित विधेयक को पिछले साल राजा ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस कानून की वजह से समलैंगिक जोड़ों को वित्तीय, कानूनी और चिकित्सीय अधिकार मिल गए हैं। वह बच्चा गोद लेने में भी सक्षम होंगे। सीएनएन को समलैंगिक विवाह करने वाले पिसिट सिरिहिरंचाई ने बताया कि यह मेरे जीवन का सबसे खुशी का दिन है। हम आखिरकार वह कर पाए जो हम लंबे समय से करना चाहते थे। अब हम एक पूर्ण परिवार हैं।
सामूहिक समलैंगिक विवाह का आयोजन थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनवात्रा ने एक संदेश भी जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि यह विवाह कानून लैंगिक विविधता के बारे में थाई समाज की व्यापक जागरूकता की शुरुआत है। यह जाति-धर्म की परवाह किए बिना सभी को गले लगाने की हमारी पहल है। सभी समान अधिकार और सम्मान के हकदार हैं। सूत्रों के मुताबिक मौजूदा समय में दुनियाभर में 30 से अधिक देशों ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दे चुके हैं। मगर एशिया में ऐसा करने वाले सिर्फ तीन देश हैं। सबसे पहले 2019 में ताइवान और इसके बाद नेपाल ने मान्यता दी थी। अब तीसरा देश थाईलैंड बना है। हालांकि थाईलैंड में अभी ट्रांसजेंडर को अपनी लिंग पहचान बदलने की अनुमति नहीं है। एशिया पैसिफिक ट्रांसजेंडर नेटवर्क का कहना है कि थाईलैंड में अनुमानित 314,000 ट्रांस लोग रहते हैं।