नई दिल्ली (नेहा): नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर सफर करने वाले लाखों यात्रियों को जल्द ही केंद्र सरकार टोल टैक्स में राहत दे सकती है। सड़क परिवहन मंत्रालय टोल से राहत देने के लिए दो प्रस्ताव पर विचार कर रही है। पहला प्रस्ताव है- ढाई लेन और संकरे नेशनल हाईवे पर कोई चार्ज नहीं। दूसरा प्रस्ताव है- कारों के लिए अनलिमिडेट ट्रैवल पर एक साल के लिए 3000 रुपया का पास। सूत्रों के मुताबिक, दोनों प्रस्तावों को सड़क परिवहन मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। फिलहाल इस प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय भेजा गया है क्योंकि इसके लागू होने के बाद सरकार को टोल से होने वाली कमाई में कमी आएगी। हालांकि, संकरे नेशनल हाईवे को टोल-फ्री करने का ज्यादा नुकसान नहीं होने का अनुमान है।
इससे पहले केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने प्राइवेट गाड़ियों के लिए सालाना और लाइफटाइम पास का ऑप्शन देने की योजना के बारे में बात की थी। केंद्रीय मंत्री कई बार यह बयान दे चुके हैं कि नेशनल हाइवे और एक्सप्रेसवे से सफर करने वाले यात्रियों को बड़ी राहत देने पर सरकार विचार कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर टोल में कटौती की जाती है तो उन्हें कोई शिकायत नहीं होगी। सूत्रों के हवाले से लिखा है कि समीक्षा बैठक के दौरान नितिन गडकरी ने ढ़ाई लेन या पक्की सड़कों वाली दो लेन को टोल फ्री करने का प्रस्ताव रखा था और अधिकारियों पर इससे विचार करने को कहा था। इन सड़कों पर टोल फी चार लेन या उससे अधिक वाले नेशनल हाईवों की तुलना में 64% टोल कम है। पूरे देश में इस तरह के 50 से भी कम टोल प्लाजा हैं और कुछ को छोड़कर सभी पब्लिक फंडेड सड़कें हैं. यानी इन सड़कों पर टोल सरकारी एजेंसियों द्वारा वसूला जाता है।
इसके अलावा ज्यादतर मामलों में इन टोलों से प्राप्त राशि खर्च किए गए राशि से कम ही होती है। ऐसे में इन सड़कों को टोल फ्री करना कोई बुरा प्रस्ताव नहीं है। सबसे अहम मुद्दा है चार लेन और उससे ज्यादा लेन वाले नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे से टोल वसूलने का। इन सड़कों पर प्राइवेट एजेंसियों द्वारा टोल वसूला जाता है, जिनकी संख्या बहुत ज्यादा है। ऐसे में सरकार प्राइवेट गाड़ियों के लिए सालाना पास जारी करती है तो होने वाले नुकसान की भरपाई सरकार को ही करनी होगी। सरकारी डेटा के मुताबिक, 2024-25 के दौरान सरकार को टोल के माध्यम से कुल 61000 करोड़ की कमाई हुई है। इनमें प्राइवेट गाड़ियों की हिस्सेदारी लगभग 20-21% है. बाकी 79-80% कमाई सरकार को कॉमर्शियल और भारी वहनों से हुई है।