चंड़ीगर (नेहा): यमुना नदी में प्रदूषण को लेकर प्रदेश सरकार सख्त हो गई है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने उपायुक्तों को निर्देश दिया है कि किसी भी हालत में यमुना नदी में सीवेज का पानी या प्रदूषित नाला नहीं गिरना चाहिए। विशेष रूप से पानीपत, सोनीपत, पलवल और यमुनानगर जिलों के उपायुक्तों को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित करने को कहा है ताकि प्रदूषित पानी को यमुना में जाने से रोका जा सके। शनिवार को सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी के साथ हरियाणा राज्य सूखा राहत एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक ले रहे मुख्यमंत्री ने कहा कि यमुना को साफ करना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। सीवेज के पानी के बहाव के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने की जरूरत है। यमुना नदी को स्थाई रूप से साफ करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को रेवाड़ी के मसानी बैराज में छह एसटीपी के कामकाज की निगरानी करने और उनके रखरखाव को सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने मानसून के मौसम में राज्य में जल भराव रोकने के लिए उपायुक्तों को नालों की सफाई और नहरों की डिसिल्टिंग कराने के लिए कहा है। उपायुक्त बाढ़ नियंत्रण के लिए चल रही परियोजनाओं की निरंतर समीक्षा करते हुए समयबद्ध तरीके से इन्हें पूरा करवाना सुनिश्चित करेंगे। किसी परियोजना में कोई कमी पाई जाती है या परियोजना में देरी होती है तो उपायुक्त संबंधित अधिकारियों की जिम्मेवारी तय करते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। नायब सिंह सैनी ने स्टोन स्टड, स्टोन स्टीनिंग, नालों की रीमाडलिंग, स्थायी पंप हाउसों के निर्माण, निचले इलाकों में पाइपलाइन बिछाने और बाढ़ के पानी को नालों में गिराने पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंचाई के लिए उपलब्ध पानी का समान व समुचित वितरण सुनिश्चित करें। हर इलाके में पानी की आपूर्ति होने चाहिए। सभी बड़ी नहरों की सफाई और पुरानी नहरों की मरम्मत व रिमॉडलिंग की जरूरत है। गर्मी के मौसम में पेय जल आपूर्ति की कोई कमी नहीं होनी चाहिए। पेयजल आपूर्ति के लिए जलाशयों की सफाई, रा वाटर की आपूर्ति, टैंकर्स की समुचित व्यवस्था की जाए। बैठक में बाढ़ नियंत्रण के लिए 658 करोड़ रुपये की 352 योजनाओं को मंजूरी दी गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि अल्पावधि योजनाओं के साथ पंपों की खरीद को भी तुरंत शुरू किया जाए और 30 जून से पहले उन्हें समय पर पूरा करना सुनिश्चित किया जाए। बैठक में बताया गया कि बाढ़ नियंत्रण के लिए 619 योजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि 302 योजनाओं पर काम चल रहा है। इस दौरान स्थायी जल भराव वाले क्षेत्रों में बाढ़ के पानी की निकासी के लिए विभिन्न प्रकार के पंप, मोटर, पैनल की खरीद और पाइपलाइन बिछाने की भी समीक्षा की गई।