नई दिल्ली (नेहा): दिल्ली में प्रति माह 200 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को निश्शुल्क बिजली मिलती है। यहां लगभग 60 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं। सर्दी के मौसम में इनमें से 60 प्रतिशत से अधिक घरेलू उपभोक्ताओं का बिजली बिल शून्य आता है। हालांकि गर्मी बढ़ने के साथ ही यह आंकड़ा बदलने लगता है। जुलाई-अगस्त में 30 प्रतिशत से भी कम उपभोक्ताओं को इसका लाभ मिलता है। राजनिवास के सूत्रों का कहना है कि ऊर्जा विभाग के आंकड़ों के अनुसार गर्मी व मानसून के मौसम में दिल्ली में 70 प्रतिशत से अधिक उपभोक्ता बिजली बिल भरते हैं। इनमें से भी 40 प्रतिशत लोग प्रति माह दो हजार से अधिक बिल का भुगतान करते हैं। सिर्फ 28 प्रतिशत उपभोक्ताओं को ही कोई बिल नहीं आता है।
इस वर्ष मई के आंकड़े बताते हैं कि 59,36,466 उपभोक्ताओं में से 13,44,278 उपभोक्ताओं ने दो हजार रुपये से अधिक बिल का भुगतान किया है। निश्शुल्क बिजली प्राप्त करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या केवल 25,26,255 थी। जून में इनकी संख्या घटकर 17 लाख और अगस्त में 16.72 लाख रह गई। सितंबर से शून्य बिल प्राप्त करने वालों की संख्या फिर से बढ़ने लगी है। वर्ष 2023-24 में बिजली उपभोक्ताओं की सब्सिडी पर 5323.95 करोड़ रुपये खर्च हुए।
आप ने कहा कि भाजपा दिल्ली में गरीबों को मिल रही निश्शुल्क बिजली के खिलाफ है। इसे रोकने के लिए हथकंडे अपना रही है। जनता को आप की सरकार से मिल रही सुविधाएं रोकने में विफल रहने के बाद भाजपा पूरी तरह से बौखला गई है। आप ने कहा कि भाजपा चाहे कुछ भी कर ले, लोगों को मिल रही निश्शुल्क बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएं जारी रहेगी। अरविंद केजरीवाल के मार्गदर्शन में आप सरकार गरीबों को निश्शुल्क बिजली देने वाली देश की पहली सरकार है।
वहीं, दिल्ली भाजपा का कहना है कि आप बिजली सब्सिडी और बिलों के मुद्दे पर दिल्लीवासियों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, दिल्ली सरकार की बिजली सब्सिडी योजना का लाभ समाज के एक बहुत छोटे वर्ग को मिलता है। अधिकांश घरेलू और सभी व्यवसायिक उपभोक्ता देश में सबसे महंगी बिजली खरीदने के लिए मजबूर हैं। आप सरकार और निजी बिजली वितरण कंपनियां बिजली खरीद समायोजन बिल (पीपीएसी), पेंशन अधिभार, स्थायी शुल्क सहित अन्य शुल्क लगाकर घरेलू उपभोक्ताओं से प्रति यूनिट लगभग 8 से 10 रुपये वसूले रहे हैं।