नई दिल्ली (राघव): भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 3 जनवरी को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.7 बिलियन डॉलर घटकर 634.59 बिलियन डॉलर हो गया। यह गिरावट एक निश्चित अवधि में हुई है लेकिन कुछ अन्य आंकड़े सकारात्मक हैं। इस दौरान आरबीआई के स्वर्ण भंडार में 824 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई और यह बढ़कर 67.1 बिलियन डॉलर हो गया है। इसका मतलब यह है कि आरबीआई ने सोने के भंडार को बढ़ाने का काम किया है।
विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) की रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2024 में भारतीय रिजर्व बैंक ने 8 टन सोने की और खरीदारी की थी। इसके साथ ही आरबीआई 2024 के पहले 11 महीनों में कुल 73 टन सोने की खरीद चुका है। अब तक आरबीआई का कुल सोने का भंडार 876 टन हो गया है जो पोलैंड के बाद दूसरे स्थान पर आता है। यह खरीदारी अन्य केंद्रीय बैंकों की खरीदारी की रणनीति का हिस्सा है जिसमें वे सोने को सुरक्षित संपत्ति के रूप में अपने भंडार में जोड़ते हैं ताकि मुद्रास्फीति से बचा जा सके और विदेशी मुद्रा संकट से निपटा जा सके।
रिजर्व बैंक के उप-गवर्नर रबी शंकर ने एक मीडिया कार्यक्रम में कहा कि आरबीआई विदेशी मुद्रा अस्थिरता को संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के बावजूद सोने और चांदी की कीमतों में इजाफा हुआ है। 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी नीति के बदलाव से यह स्थिति और भी प्रभावित हो सकती है। आरबीआई भारतीय रुपये में गिरावट को रोकने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करता है। जब विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकालते हैं तो आरबीआई डॉलर जारी करके भारतीय मुद्रा की अस्थिरता को नियंत्रित करता है।
आरबीआई का मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार भारत की मुद्रा की स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है। जब रुपये में तेजी से गिरावट आती है तो आरबीआई उसे रोकने के लिए डॉलर जारी करता है जिससे रुपये की मूल्य में स्थिरता बनी रहती है। इससे साफ है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार को संतुलित रखते हुए भारतीय रुपये की स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं।