ढाका (किरण): बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सेना को दो महीने के लिए मजिस्ट्रेटी शक्तियां प्रदान की हैं। हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में यह निर्णय कानून व्यवस्था में सुधार और विध्वंसक कृत्यों को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है। लोक प्रशासन मंत्रालय ने मंगलवार को एक अधिसूचना जारी कर इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया। ये शक्तियां सेना के कमीशंड अधिकारियों को दी जाएंगी।
बांग्लादेश के स्वामित्व वाली बीएसएस समाचार एजेंसी के अनुसार, गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने बुधवार को कहा कि हमले के बाद से कई पुलिस अधिकारी ड्यूटी पर वापस नहीं लौटे हैं। जो पुलिस अधिकारी अभी तक सेवाओं में शामिल नहीं हुए हैं, उन्हें अब इसमें शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास कर्मचारियों की कमी है और इसको पूरा करने के लिए मजिस्ट्रेट की शक्ति सेना को दी गई है। इसका फायदा नागरिकों को मिलेगा। बांग्लादेश के लोक प्रशासन मंत्रालय ने द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, यह प्रावधान तत्काल प्रभाव से 17 सितंबर से लागू होगा और अगले 60 दिनों तक लागू रहेगा।
अंतरिम सरकार के एक सलाहकार ने कहा कि मजिस्ट्रेट की शक्ति मिलने के बाद सेना के पास लोगों को गिरफ्तार करने, उन्हें हिरासत में लेने और जरूरत पड़ने पर अधिकारी को गोली चलाने की भी अनुमति होती है। यह फैसला बांग्लादेश में फिर से हिंसा न हो इसलिए लिया गया है।
वहीं बांग्लादेश सरकार में कानून सलाहकार आसिफ नजरुल ने कहा कि सेना के जवान इस अधिकार का दुरुपयोग नहीं करेंगे। जब यहां हालात सामान्य हो जाएंगे, तब इसकी इसकी जरूरत नहीं रहेगी। वैसे भी यह कानून 60 दिन तक के लिए ही लागू रहेगा।
बांग्लादेश सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के वकील शाहदीन मलिक के स्थान पर बांग्लादेशी-अमेरिकी प्रोफेसर अली रियाज को संवैधानिक सुधार आयोग का प्रमुख नियुक्त किया है। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के निर्देशानुसार इसकी घोषणा की गई। यूनुस ने न्यायपालिका, चुनाव प्रणाली, प्रशासन, पुलिस, भ्रष्टाचार विरोधी आयोग और संविधान में सुधार के लिए छह आयोगों के गठन की घोषणा की। बता दें कि बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर पिछले कुछ महीनों से छात्र आंदोलन कर रहे हैं। देश भर में हुई झड़पों के बाद, तत्कालीन बांग्लादेशी सरकार ने सेना को तैनात किया था।