न्यूयॉर्क (राघव): गाजा युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपना पहला संबोधन दिया। इस दौरान बेंजामिन नेतन्याहू ने मध्य पूर्व में संघर्ष के लिए ईरान को मुख्य किरदार के रूप में चित्रित करने की कोशिश की है। उन्होंने संबोधन में दो मैप दर्शाए, जिसमें ईरान को ‘ अभिशाप’ और भारत को ‘आशीर्वाद’ के रूप में दिखाया गया। नेतन्याहू की तरफ से रखे गए ‘आशीर्वाद’ मानचित्र में हिंद महासागर और भूमध्य सागर के बीच एक भूमि पुल के माध्यम से एशिया और यूरोप से जुड़ने वाले इजरायल और उसके अरब भागीदारों के बीच एकता की दृष्टि को रेखांकित किया गया है।
नेतन्याहू के अनुसार ‘अभिशाप’ दिखाया गया नक्शा ‘आतंक के एक छाप का नक्शा है जिसे ईरान ने हिंद महासागर से भूमध्य सागर तक बनाया और लगाया है। मानचित्रों में वेस्ट बैंक, गाजा और सीरिया के गोलान हाइट्स के फिलिस्तीनी क्षेत्रों को भी इजराइल के हिस्से के रूप में चिह्नित किया गया है। ये मानचित्र नेतन्याहू की तरफ से देशों से ईरान के खिलाफ प्रतिबंध लगाने और उनके परमाणु हथियार कार्यक्रम को अवरुद्ध करने में इजरायल में शामिल होने की एक बड़ी अपील का केवल एक प्रदर्शन थे। अपने भाषण के दौरान, नेतन्याहू ने कहा, ‘बहुत लंबे समय से दुनिया ने ईरान का तुष्टीकरण किया है, उसने अपने आंतरिक दमन पर आंखें मूंद ली हैं, उसने बाहरी आक्रामकता पर आंखें मूंद ली हैं। उन्होंने आगे कहा, तुष्टिकरण अब खत्म होना चाहिए।’