तेहरान (राघव): ईरान की सरकार हिजाब कानून को लागू करने के लिए अब अत्याधुनिक तकनीकों का सहारा ले रही है। हिजाब को लेकर दुनियाभर में आलोचनाओं के बावजूद ईरान की इस्लामिक सरकार अपनी सख्ती से पीछे हटने को तैयार नहीं है। अब ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस कैमरे, फेशियल रिकग्निशन तकनीक और मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करके महिलाओं पर निगरानी रखी जा रही है। संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान सरकार डिजिटल तकनीक का उपयोग महिलाओं पर सख्त ड्रेस कोड लागू करने और उल्लंघन करने वालों को दंडित करने के लिए कर रही है। इसके लिए:
1. AI तकनीक वाले कैमरे सार्वजनिक स्थानों और विश्वविद्यालयों में लगाए गए हैं।
2. ड्रोन का इस्तेमाल करके हिजाब नियमों का उल्लंघन करने वाली महिलाओं पर नजर रखी जा रही है।
3. एक विशेष मोबाइल ऐप बनाया गया है, जहां लोग किसी भी महिला की शिकायत कर सकते हैं।
4. ऐप में वाहन नंबर, लोकेशन और उल्लंघन की जानकारी देने पर संबंधित व्यक्ति को नोटिस भेजा जाता है।
5. नियमों के बार-बार उल्लंघन पर स्वचालित संदेश के जरिए चेतावनी दी जाती है और सजा का प्रावधान किया गया है।
कठोर दंड का प्रावधान
ईरान ने हिजाब को अनिवार्य करने के लिए सख्त कानून लागू किए हैं। हालांकि, दिसंबर 2024 में इस कानून को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था, लेकिन अगर इसे फिर से लागू किया जाता है तो बिना हिजाब के बाहर निकलने पर 10 साल तक की कैद हो सकती है। 12,000 डॉलर तक का भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
सुरक्षा बलों को इसे सख्ती से लागू करने के विशेष अधिकार दिए गए हैं। इस्लामिक दंड संहिता के अनुच्छेद 286 के तहत, ‘भ्रष्टाचार फैलाने’ का दोषी पाए जाने पर महिलाओं को मौत की सजा तक दी जा सकती है।
ईरान में हिजाब कानून के खिलाफ लंबे समय से विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। 2022 में महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद यह आंदोलन और तेज हो गया था। सरकार ने इन प्रदर्शनों को कुचलने के लिए कड़े कदम उठाए और कई प्रदर्शनकारियों की हत्या करवा दी। इसके बावजूद, ईरान सरकार हिजाब कानून को किसी भी कीमत पर सख्ती से लागू करने पर अड़ी हुई है।