नई दिल्ली (राघव): इंश्योरेंस धारकों को आसानी देने के लिए बीमा नियामक इरडा द्वारा कई नियम जारी किये जाते हैं। अब इरडा ने पॉलिसी धारकों के लिए एक मास्टर सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर में नियामक ने पॉलिसीधारकों को उनके अधिकारों के बारे में बताया है। अगर आपके पास भी लाइफ इंश्योरेंस या हेल्थ इंश्योरेंस है तो आपको अपने अधिकारों के बारे में जान लेना चाहिए ताकि कोई इंश्योरेंस कंपनी अपनी मनमानी न कर पाएं। हम आपको इस आर्टिकल में पॉलिसीधारकों के अधिकारों के बारे में बताएंगे।
अगर आप ऑनलाइन इंश्योरेंस करवाते हैं तो आपको ऑनलाइन सभी जानकारी मिल जाती है। लेकिन, अगर आप इंश्योरेंस की फिजिकल कॉपी लेना चाहते हैं तो वो भी आप आसानी से ले सकते हैं। इसके लिए कंपनी द्वारा मनाही नहीं की जाएगी। जी हां, कई बार पॉलिसीहोल्डर को लगता है कि उसनें ऑनलाइन पॉलिसी लिया है तो वह फिजिकल फॉर्मेंट में कॉपी नहीं ले सकता है। लेकिन, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अगर पॉलिसीहोल्डर फिजिकल फॉर्मेट में कॉपी मांगता है तो इंश्योरेंस कंपनी उसे यह उपलब्ध करवाएगी। हालांकि, पॉलिसीधारक को इसके बारे में प्रपोजन फॉर्म में इसकी जानकारी देनी होगी कि वह फिजिकल फॉर्मेंट में भी इंश्योरेंस की कॉपी चाहता है।
अगर पॉलिसीधारक के पास कई पॉलिसी है और वह किसी एक पॉलिसी के तहत क्लेम करता है। लेकिन उस पॉलिसी का कवरेज कम पड़ जाता है तो दूसरी पॉलिसी ऑटोमैटिकली एक्टिव हो जाएगा। इसे ऐसे समझिए कि अगर आपके पास 1 लाख और 2 लाख रुपये की पॉलिसी है। आपने 1 लाख रुपये की पॉलिसी से 1.5 लाख रुपये का क्लेम किया है तो पहली पॉलिसी का कवरेज क्योंकि कम है तो दूसरी पॉलिसी ऑटोमैटिक अपडेट हो जाएगा। यानी 1 लाख रुपये की पॉलिसी से 1 लाख और दूसरी पॉलिसी से 50,000 रुपये का लाभ होगा।