रांची (नेहा): झारखंड में बजट की खासियत बाल बजट है। लगातार दूसरी बार पेश बाल बजट के अंतर्गत राज्य में संचालित कुल 200 योजनाओं में से 42 योजनाएं बच्चों के नाम की गई हैं और इन पर वित्तीय वर्ष 2025-26 में 9411 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है। यह राशि पिछली बार से 6 प्रतिशत अधिक है। खास बात यह भी है कि कुल योजना आकार के हिसाब से बच्चों पर 10 प्रतिशत राशि खर्च होगी। वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने दावा किया कि यह राज्य में बच्चों से संबंधित कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन का दस्तावेज तो है ही। साथ ही यह सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि कैसे बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण सुरक्षा और समग्र विकास को लेकर सरकार प्रयासरत हैं। झारखंड में बड़ी संख्या में निवास करने वाले अनुसूचित जनजाति और अन्य समुदायों के बच्चों के लिए एक समर्पित बाल बजट पेश किया गया है। यह बजट नीति-निर्माताओं, प्रशासन, नागरिक-समाज-संगठनों और आम जनता को यह समझने में मदद करता है कि बच्चों से संबंधित योजनाओं और कार्यक्रमों पर कितना और कैसे खर्च किया जा रहा है।
इसके माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि सरकारी योजनाओं और नीतियों में बच्चों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी जाए। यह शिक्षा के अधिकार स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, बाल संरक्षण, पोषण संबंधी योजनाओं और अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए वित्तीय आवंटन को पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ प्रस्तुत करता है। समग्र योजनाओं को देखें तो यह कुल बजट का दस प्रतिशत हिस्सा है। इस प्रकार राज्य सरकार अगले वित्तीय वर्ष में पिछले वर्ष की तुलना में दस प्रतिशत अधिक राशि व्यय करना चाहती है। वित्त मंत्री ने इसके साथ ही कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बच्चों में निवेश करना देश और समाज के भविष्य में निवेश करने के समान है। बाल बजट में प्रदेश के बच्चों की स्थिति को दर्शाया गया है। साथ ही बच्चों से संबंधित विभिन्न काल्याणकारी योजनाओं की भी जानकारी दी गई है। यह बजट राज्य में बाल उन्मुख नीति निर्माण और संसाधनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध होगा।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह बाल बजट राज्य में बच्चों की स्थिति को सुधारने में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज सिद्ध होगा और झारखंड में बच्चे के विकास की दिशा में एक प्रभावी टूल साबित होगा। बाल बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ बच्चों को कुपोषण, शिक्षा की कमी, स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच में कमी, बाल श्रम और शोषण जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भारतीय संविधान और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में निहित उनके अधिकारों को स्वीकार करते हुए बाल बजट पेश किया गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिसमें बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय संसाधनों को प्रभावी ढंग से आवंटित किया जाता है। अच्छी तरह से तैयार बाल बजट के माध्यम से सरकार आवंटन, व्यय और बाल-केंद्रित कार्यक्रमों पर उनके प्रभाव की जांच करना चाहती है।