नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और वामपंथी संगठनों के बीच जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ चुनावों के केंद्रीय पैनल के लिए कड़ी टक्कर देखी जा रही है।
चुनावी रुझान
शुरुआती चुनावी रुझानों के अनुसार, वामपंथी उम्मीदवार धनंजय राष्ट्रपति पद के लिए 1,361 वोटों के साथ सबसे आगे हैं, जबकि एबीवीपी के उमेश सी अजमेरा 1,162 वोटों के साथ उनके पीछे हैं। उप-राष्ट्रपति पद के लिए भी, एबीवीपी की दीपिका शर्मा 984 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर हैं, जबकि वामपंथी उम्मीदवार अविजित घोष 1,214 वोटों के साथ आगे चल रहे हैं।
इन शुरुआती चुनावी रुझानों को 3,295 मतपत्रों की गिनती पर आधारित है, जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव समिति द्वारा विभिन्न छात्र संगठनों के साथ साझा की गई है।
चुनावी मैदान में कड़ी टक्कर
इस बार के चुनावी संग्राम में, एबीवीपी और वामपंथी दलों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। दोनों ही दल अपने-अपने उम्मीदवारों की जीत के लिए पूरी ताकत से प्रच
ार में जुटे हुए हैं। छात्र समुदाय के बीच यह चुनावी लड़ाई न केवल दो संगठनों के बीच बल्कि विचारधाराओं की टक्कर के रूप में भी देखी जा रही है।
वोटों का गणित
वोटों की गिनती और चुनावी रुझानों से स्पष्ट होता है कि जेएनयू के छात्र समुदाय में दोनों ही गुटों का अपना महत्वपूर्ण समर्थन है। इस बार के चुनावी मुकाबले में जीत किसी भी ओर जा सकती है, जिससे छात्र राजनीति में नई दिशा निर्धारित हो सकती है।
जेएनयू में छात्र संघ चुनाव हमेशा से राष्ट्रीय राजनीति का एक आईना रहे हैं, जहाँ विभिन्न विचारधाराओं और समूहों की भावनाएँ और आदर्श टकराते हैं। इस वर्ष का चुनावी संघर्ष भी इसी परंपरा को आगे बढ़ा रहा है, जहाँ छात्र अपनी विचारधाराओं के अनुसार मतदान कर रहे हैं।
आगे की राह
जैसे-जैसे अंतिम मतगणना की तिथि नजदीक आ रही है, छात्र समुदाय और उम्मीदवार दोनों ही अपनी-अपनी जीत की संभावनाओं को लेकर आशान्वित हैं। यह चुनाव न केवल जेएनयू के छात्र संघ का चेहरा तय करेगा बल्कि यह भी संकेत देगा कि छात्र राजनीति में कौन सी विचारधाराएँ और मुद्दे प्रभावी रूप से उभर कर आ रहे हैं।
इस चुनावी दंगल में, जहाँ एक ओर एबीवीपी अपनी रूढ़िवादी और राष्ट्रवादी पहचान को मजबूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं वामपंथी दल शैक्षिक संस्थानों में लोकतंत्र और अकादमिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए खड़े हो रहे हैं। इस चुनावी युद्ध के मैदान में विविध विचारधाराएँ और राजनीतिक मान्यताएँ एक-दूसरे से टकरा रही हैं।
छात्रों की आवाज
जेएनयू के छात्र संघ चुनाव न केवल उम्मीदवारों के लिए बल्कि छात्र समुदाय के लिए भी अपनी आवाज को मजबूती से व्यक्त करने का एक अवसर हैं। ये चुनाव छात्रों को उनके अधिकारों और अपेक्षाओं के प्रति सजग बनाने के साथ-साथ सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर उनकी सोच को आकार देने में मदद करते हैं।
इस प्रकार, जेएनयू छात्र संघ चुनाव न केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया है, बल्कि यह एक ऐसा मंच भी है जहां छात्रों के विचार और आदर्श राष्ट्रीय मंच पर प्रतिध्वनित होते हैं। यह चुनाव जेएनयू के छात्रों के लिए एक गंभीर राजनीतिक जागरूकता और सक्रियता का प्रतीक है।