दिल्ली के मुख्यमंत्री, अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चल रहे विवादित मामले में, दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने अदालत को आश्वासन दिया कि उनकी जांच में कोई अंधेरे में तीर नहीं चलाया गया है।
गिरफ्तारी और चुनौती
केजरीवाल की ओर से, वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि यह मामला लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के मूल सिद्धांतों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से उनके लोकतांत्रिक अधिकारों पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
सिंघवी ने इसे लेकर चिंता जताई कि पहले समन और फिर गिरफ्तारी की प्रक्रिया में दिखाई देने वाली देरी से राजनीतिक दुर्भावना की बू आती है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति न केवल कानूनी बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए भी खतरा है।
ED का पक्ष
ईडी की ओर से ASG एस.वी. राजू ने केजरीवाल की गिरफ्तारी का बचाव किया। उन्होंने तर्क दिया कि अपराध की स्थिति में, चाहे वह चुनाव के समय हो या न हो, कार्रवाई जरूरी है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे पर हमला बताने के तर्क को खारिज किया।
राजू ने आगे कहा कि अपराधियों को यह दलील देने का कोई अधिकार नहीं है कि चुनावी समय में उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईडी ने अपनी जांच में वॉट्सऐप चैट्स, हवाला ऑपरेटरों के बयानों और इनकम टैक्स डेटा का सहारा लिया है, जिससे उनके आरोपों में वजन आता है।
इस प्रकार, दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही इस सुनवाई ने न केवल केजरीवाल की गिरफ्तारी के कानूनी पहलुओं को सामने लाया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कैसे लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया के मूल सिद्धांत इस प्रक्रिया में उलझे हुए हैं। दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्कों के साथ न्यायालय के सामने अपना पक्ष रखा है, और अब निर्णय हाईकोर्ट के हाथ में है।