चिकमंगलुरु (राघव): कर्नाटक की आखिरी नक्सली लक्ष्मी ने रविवार को उडुपी में बिना शर्त आत्मसमर्पण किया। यह सरेंडर उडुपी की डिप्टी कमिश्नर विद्या कुमारी और एसपी अरुण के. की मौजूदगी में हुआ। पुलिस के मुताबिक, लक्ष्मी पर तीन मामले दर्ज हैं, जो 2007-2008में पुलिस के साथ गोलीबारी, हमले और माओवादी साहित्य के प्रचार से जुड़े हैं। पुलिस ने बताया कि वह आंध्र प्रदेश में छिपी हुई थी और मूल रूप से कुंदापुरा तालुक के माछट्टू गांव की निवासी हैं।
लक्ष्मी का पति सलीम भी एक पूर्व नक्सली था, जिसने 2020में आंध्र प्रदेश में आत्मसमर्पण किया था। लक्ष्मी ने करीब 15साल पहले अपने परिवार से संबंध तोड़कर अंडरग्राउंड होने का फैसला किया था। वह चिकमंगलुरु और उडुपी जिलों में नक्सली गतिविधियों को बढ़ावा देने में सक्रिय रही थीं। लक्ष्मी ने कहा, “मैंने जिला अधिकारियों से संपर्क किया था और कर्नाटक सरकार के आत्मसमर्पण पैकेज की घोषणा के बाद सरेंडर करना चाहा था, लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं हो सका। आत्मसमर्पण समिति के गठन के बाद मेरा सरेंडर आसान हो गया।”
लक्ष्मी ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का धन्यवाद किया और जिला प्रशासन से अनुरोध किया कि उसके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से उसे मुक्त किया जाए। डिप्टी कमिश्नर विद्या कुमार ने बताया कि लक्ष्मी ‘ए’ कैटेगरी की कैंडिडेट हैं। इस श्रेणी में आने वाले नक्सलियों को 7लाख रुपये तक का सरेंडर पैकेज मिलता है। यह पैकेज तीन सालों में चरणों में दिया जाएगा। इसके अलावा, सरेंडर करने वालों को शिक्षा, पुनर्वास और रोजगार जैसी सुविधाएं भी दी जाएंगी। राज्य आत्मसमर्पण समिति के श्रीपाल ने बताया कि 2025में अब तक 22नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है और लक्ष्मी राज्य में आत्मसमर्पण करने वाली आखिरी महिला हैं। इसके साथ ही, कर्नाटक अब नक्सल-मुक्त राज्य बन गया है। शनिवार को चिकमंगलुरु में कोटेहंडा रवींद्र के आत्मसमर्पण के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। इसमें कर्नाटक को नक्सल-मुक्त राज्य बनाने के लिए प्रयास करने वाले 22 पुलिस अधिकारियों और जवानों की टीम के लिए मुख्यमंत्री पदक की घोषणा की गई।