बेंगलुरु (राघव): कर्नाटक कैबिनेट ने जाति जनगणना के नतीजों को शुक्रवार को स्वीकार कर लिया। इस रिपोर्ट पर 17 अप्रैल को स्पेशल कैबिनेट मीटिंग में विस्तार से चर्चा होगी। फिलहाल जनगणना के नतीजे गुप्त रखे गए हैं। कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि सभी कैबिनेट मेंबर्स को मीटिंग से पहले रिव्यू के लिए रिपोर्ट भेज दी गई है। कुछ लोग 2015 के सर्वे में 37 लाख लोगों के छूटने की बात उठा रहे हैं। इसका जवाब देते हुए पाटिल ने कहा, ‘सामान्य जनगणना में भी लोग छूट जाते हैं। 94% कवरेज बहुत बड़ा नंबर है।’ पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री शिवराज तंगडगी ने सर्वे के दायरे को और साफ किया। उन्होंने बताया कि सर्वे में 5.98 करोड़ लोगों को कवर किया गया, जो उस समय की अनुमानित 6.35 करोड़ आबादी का 94.17% है। इस तरह सिर्फ 37 लाख लोग छूटे, यानी 5.83% लोग सर्वे में शामिल नहीं हो पाए।
जाति जनगणना का यह सर्वे 2015 में सिद्धारमैया के पहले कार्यकाल में शुरू हुआ था। ये एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट था, जिसमें 1.6 लाख से ज्यादा कर्मचारियों ने 162 करोड़ रुपये की लागत से 1 करोड़ से अधिक घरों का दौरा किया। सिद्धारमैया ने पिछले साल जून में रिपोर्ट को स्वीकार करने का ऐलान किया था, लेकिन इसका कंटेंट अभी तक पब्लिक नहीं किया गया है। एक मंत्री ने बताया कि कैबिनेट ब्रीफिंग में सर्वे की साइंटिफिक वैलिडिटी पर जोर दिया गया। अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर कवरेज और तरीके का हवाला देकर इसकी साख का बचाव किया।
लिंगायत और वोक्कालिगा जैसे प्रभावशाली समुदाय लंबे समय से डेटा की सटीकता पर सवाल उठाते रहे हैं। उनका मानना है कि उनकी आबादी को कम करके दिखाया गया है। इस तरह का शक 2018 में तब शुरू हुआ, जब कथित तौर पर लीक हुए आंकड़ों में कहा गया कि वोक्कालिगा 14% और लिंगायत 11% हैं जो कि आम धारणा से काफी कम है। उन आंकड़ों में ये भी था कि अनुसूचित जातियां 19.5%, मुस्लिम 16%, और कुरुबा 7% हैं। कुल मिलाकर अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी, मुस्लिम और कुरुबा मिलकर 47.5% आबादी बनाते हैं। कैबिनेट ने रिपोर्ट को आज मंजूरी दे दी, मगर 6 मंत्री मीटिंग में नहीं आए। इनमें लिंगायत (एसएस मल्लिकार्जुन, लक्ष्मी हेब्बालकर), वोक्कालिगा (एमसी सुधाकर, के वेंकटेश), अनुसूचित जाति (आरबी तिम्मापुर) और इडिगा (मधु बंगारप्पा) बैकग्राउंड के नेता शामिल हैं। हालांकि, एचके पाटिल ने साफ किया कि कैबिनेट के फैसले पर कोई मतभेद नहीं था। उन्होंने कहा कि सभी मंत्रियों ने जाति या समुदाय की परवाह किए बिना फैसले को स्वीकार किया। मालूम हो कि जाति जनगणना का मामला हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर भी गरमाया हुआ है।