नई दिल्ली (किरण): दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आज आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं। इन सबके बीच आज उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखी है। जिसमें उन्होंने भागवत से पांच सवाल पूछे हैं। बता दें इससे पहले जंतर-मंतर पर ‘जनता की अदालत’ को संबोधित करते हुए भी मंच से केजरीवाल ने RSS चीफ से सवाल पूछते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला था।
इस दौरान AAP चीफ ने कहा था कि “पिछले दस साल से हम ईमानदारी से सरकार चला रहे थे, हमने बिजली-पानी मुफ्त किया, लोगों के लिए इलाज मुफ्त किया, शिक्षा को बेहतरीन बनाया। इससे मोदी जी को लगने लगा कि अगर उन्हें हमसे जीतना है तो हमारी ईमानदारी पर हमला करना होगा।
पहला सवाल: जिस तरह मोदी जी देश भर में लालच देकर या ED-CBI का डर दिखाकर दूसरी पार्टी के नेताओं को तोड़ रहे हैं, सरकारें गिरा रहे हैं- क्या ये देश के लोकतंत्र के लिए सही है? क्या आप नहीं मानते ये भारतीय जनतंत्र के लिए हानिकारक है?
दूसरा सवाल: देश भर में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचारी नेताओं को मोदी ने अपनी पार्टी में शामिल करवाया। जिन नेताओं को कुछ दिन पहले उन्होंने खुद सबसे भ्रष्टाचारी बोला। जिन नेताओं को अमित शाह जी ने भ्रष्टाचारी बोला। कुछ दिन बाद उन्हें बीजेपी में शामिल करवा लिया? क्या आपने ऐसी बीजेपी की कल्पना की थी? क्या इस प्रकार की राजनीति पर आपकी सहमति है?
तीसरा सवाल: बीजेपी RSS की कोख से पैदा हुई है। कहा जाता है कि ये देखना RSS की जिम्मेदारी है कि BJP पथभ्रष्ट न हो। क्या आप आज की बीजेपी के कदमों से सहमत हैं। क्या आपने कभी मोदी जी से ये सब न करने के लिए कहा ?
चौथा सवाल: जेपी नड्डा ने चुनाव के दौरान कहा कि BJP को RSS की जरूरत नहीं है। RSS बीजेपी की मां समान है। क्या बेटा इतना बड़ा हो गया है कि मां को आंखें दिखाने लगा है? जिस बेटे को पालपोष के बड़ा किया ,प्रधानमंत्री बनाया, आज वो अपनी माता तुल्य संस्था को आंखें दिखा रहा है। जब नड्डा जी ने ये कहा तो आपको दुख नहीं हुआ? क्या RSS के हर कार्यकर्ता को दुख नहीं हुआ?
पांचवा सवाल: बीजेपी ने मिलकर ये नियम बनाया था कि 75 वर्ष का होने पर किसी भी व्यक्ति को रिटायर होना पड़ेगा। इस कानून के तहत आडवाणी जी और मुरली मनोहर जोशी जी जैसे बड़े नेताओं को भी रिटायर कर दिया गया। अब अमित शाह कह रहे हैं कि वो रूल मोदी जी पर लागू नहीं होगा। क्या आप इससे सहमत हैं कि जो रूल आडवाणी जी पर लागू हुआ वो मोदी जी पर लागू नहीं होगा?