पटना (राघव): लालू प्रसाद के रेल मंत्री होते हुए जमीन के बदले नौकरी मामले में सोमवार को सीबीआइ ने अदालत मांगे गए कुछ स्पष्टीकरण पर जवाब देने के लिए कुछ अतिरिक्त समय की मांग की। इसके बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने आज की कार्रवाई 21 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी। मामले की अगली सुनवाई 21 को होगी।
बता दें कि इससे पूर्व सात फरवरी को यह सुनवाई स्थगित कर दी गई थी। जबकि इससे पहले 30 जनवरी को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीआई को दो अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी थी। इनमें एक पूर्व प्रशासनिक अधिकारी आरके महाजन भी शामिल हैं। महाजन उस समय रेलवे बोर्ड में थे जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। जमीन के बदले नौकरी मामले में लालू परिवार के पांच सदस्य आरोपी हैं। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव,पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, लालू प्रसाद की पुत्री मीसा भारती, हेमा यादव के नाम हैं।
दरअसल, बात वर्ष 2004 से 2009 के बीच की है। तब राजद प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते बगैर किसी विज्ञापन के कई लोगों को रेलवे में नौकरियां दी गईं। इसके साथ यह भी आरोप है कि नौकरी देने के बदले उनसे या उनके परिवार के सदस्यों से लालू प्रसाद ने उनकी जमीनें अपने परिवार के नाम पर लिखवा ली। इस मामले की जांच बाद में सीबीआई ने शुरू की थी। इससे पहले, जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में 16 जनवरी, 2025 को सुनवाई हुई थी। तब भी सुनवाई को 30 जनवरी 2025 तक के लिए टाल दी गई थी। तब अदालत ने इस केस में संलिप्त अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति के लिए दो सप्ताह का समय दिया। अदालत ने कहा कि अगर 30 जनवरी तक मंजूरी नहीं ली जाती है, तो सक्षम अधिकारी अगली सुनवाई की तारीख तक लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करेंगे।
मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अदालत को बताया कि अभी मामले में आरोपित आर के महाजन के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी लेने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इससे पहले अदालत ने इस घोटाले से जुड़े दस्तावेज को रिकॉर्ड पर लिया था। सीबीआई ने अदालत को सूचित किया था कि मामले में 30 आरोपितों पर मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अधिकारियों से प्राप्त आवश्यक मंजूरी प्राप्त कर ली गई थी।