पटना (राघव): ईडी ने जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में राजद सुप्रीमो लालू यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ईडी ने मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है, जिसमें लालू यादव को घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। चार्जशीट में दावा किया गया है कि रेलवे में नौकरी दिलाने के लिए तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों ने रिश्वत के तौर पर प्लॉट लिए थे। ईडी ने दावा किया है कि रेलवे में नौकरी और उसके बदले जमीन का लेन-देन खुद लालू यादव ही तय करते थे।
ईडी ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि लालू यादव ने अपने परिवार और सहयोगियों के जरिए घोटाले से अर्जित जमीन को छिपाने के लिए ऐसी साजिश रची कि उसका लिंक सीधे उनके परिवार से नहीं जुड़ पाए। ईडी के अनुसार, लालू यादव ने सुनिश्चित किया कि जमीन के इन टुकड़ों को इस तरह हस्तांतरित किए जाएं कि उनकी (लालू यादव की) प्रत्यक्ष भागीदारी अस्पष्ट हो जाए और उनके परिवार को लाभ मिल सके। ईडी के मुताबिक, मुख्य रूप से पटना के महुआ बाग में जमीन मालिकों को रेलवे में नौकरी का वादा करके अपनी जमीन कौड़ियों के भाव बेचने के लिए राजी किया गया था। इनमें से कई भू-खंड यादव परिवार के पास पहले से मौजूद जमीनों के नजदीक मौजूद थे। इसमें शामिल सात में से छह भू-खंड लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी से जुड़े थे और उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हासिल किया गया था।
ईडी की ओर से यह भी कहा गया है कि जांच के दौरान यह पाया गया कि नौकरी के बदले जमीन योजना के बीच संबंधों को और अधिक अस्पष्ट करने के लिए मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड जैसी संस्थाओं का इस्तेमाल किया गया था। ईडी के मुताबिक, लालू यादव के करीबी भोला यादव इस लेन-देन के मुख्य सूत्रधार रहे हैं। भोला ने यादव परिवार की जमीन के नजदीक के भूस्वामियों को रेलवे में नौकरी के बदले अपनी संपत्ति बेचने के लिए राजी करने की बात स्वीकार की है। ईडी के मुताबिक, कई अधिग्रहित संपत्तियों को दूर के रिश्तेदारों से उपहार के रूप में दर्शाया गया था, लेकिन लालू की बेटी मीसा भारती ने इन व्यक्तियों को जानने से इनकार किया। ईडी ने अपने आरोप-पत्र में जमीनों की इस अवैध खरीद-फरोख्त को छिपाने के लिए उपहार और शेल कंपनियों के उपयोग करने का भी जिक्र किया है।