बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को लखन भैया फर्जी एनकाउंटर केस में उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह घटना 2006 में घटी थी, जहाँ गैंगस्टर छोटा राजन के करीबी सहयोगी लखन भैया का फर्जी एनकाउंटर किया गया था।
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की गिरफ्तारी
प्रदीप शर्मा को इस मामले में पहले ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने उस फैसले को पलटते हुए, शर्मा की संलिप्तता को साबित करते हुए उम्रकैद का फैसला सुनाया। जस्टिस रेवती मोहित डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की पीठ ने इस मामले में गहराई से सुनवाई की।
न्याय की ओर एक कदम
हाई कोर्ट ने इस मामले में कई अहम पहलूओं पर प्रकाश डाला, जिसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा सबूतों की अनदेखी की गई थी। अदालत ने पाया कि प्रदीप शर्मा के खिलाफ मौजूद सबूत उनकी संलिप्तता को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करते हैं।
न्यायिक प्रक्रिया में अहम फैसला
इस फैसले को न्यायिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जहाँ हाई कोर्ट ने 2006 में हुए इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए, न्याय की दिशा में एक ठोस पहल की है। इस फैसले से पीड़ित पक्ष को एक उम्मीद की किरण नजर आई है।
आगे की राह
हालांकि हाई कोर्ट ने 21 आरोपियों में से छह को बरी कर दिया है और 11 के खिलाफ ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है, इस मामले में अभी भी कुछ विधिक प्रक्रियाएँ बाकी हैं। साथ ही, इस फैसले ने न्यायिक प्रणाली में विश्वास बहाल करने का काम किया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट का यह फैसला न केवल लखन भैया एनकाउंटर केस में, बल्कि न्यायिक इतिहास में भी एक मील का पत्थर साबित होगा। इस निर्णय ने समाज में न्याय के प्रति आस्था को मजबूत किया है और सभी को यह संदेश दिया है कि कानून के सामने सभी समान हैं।