इस्लामाबाद (राघव): पाकिस्तान की पहली नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई करीब 13 साल बाद पहली बार अपने गृहनगर पहुंचीं। इतने लंबे अरसे बाद अपने ‘घर’ पहुंची मलाला सिर्फ 3 घंटे ही वहां बिता पाईं। यूसुफजई उस समय मात्र 15 साल की एक स्कूली छात्रा थीं जब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकवादियों ने अफगानिस्तान सीमा के पास सुदूर स्वात घाटी में एक बस में चढ़कर उनके सिर में गोली मार दी थी। उसके बाद से वह कभी-कभार ही पाकिस्तान गईं लेकिन हमले के बाद ब्रिटेन में ठिकाना बनाने के बाद यह पहली बार था जब वह शांगला में अपने पैतृक आवास पर लौटी थीं।
पाकिस्तान के अशांत उत्तर-पश्चिम खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में बुधवार को अपने गृहनगर पहुंचकर मलाला ने परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मलाला हेलीकॉप्टर से खैबर-पख्तूनख्वा के शांगला जिले के बरकाना पहुंचीं, जहां उन्होंने अपने चाचा रमजान से मुलाकात की और उस कब्रिस्तान का भी दौरा किया, जहां उनके पुरखों को दफनाया गया था। रमजान की हाल में दिल से जुड़ी समस्याओं के बाद इस्लामाबाद में सर्जरी की गई थी। स्थानीय करोरा थाने के प्रभारी अमजद आलम खान ने बताया कि मलाला के साथ उनके पिता जियाउद्दीन यूसुफजई और पति असीर मलिक भी थे। मलाला और मलिक की शादी 2021 में हुई थी।
आलम खान ने बताया कि मलाला ने उस स्कूल और कॉलेज का भी दौरा किया, जिसे उन्होंने शांगला जिले की करीब एक हजार बालिकाओं को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए 2018 में स्थापित किया था। शांगला जिले में इससे पहले लड़कियों के लिए कोई सरकारी कॉलेज नहीं था। थाना प्रभारी ने कहा, ‘मलाला ने कक्षाओं का निरीक्षण किया, विद्यार्थियों से मुलाकात की और उनसे पढ़ाई एवं भविष्य पर ध्यान देने की अपील की।’ उन्होंने कहा कि मलाला फंड कॉलेज में मुफ्त में उच्च स्तरीय शिक्षा सुनिश्चित करेगा। मलाला अपनी नानी के घर भी गईं।