नई दिल्ली (राघव): पिछले दिनों रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटिरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग हुई थी। इसमें लगातार नौवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया। इसका मतलब कि केंद्रीय बैंक ने अपनी ओर से न तो कर्ज महंगा किया और न ही सस्ता किया। लेकिन, सरकारी बैंकों ने कर्ज महंगा कर दिया है। इसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक और यूको बैंक शामिल हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक और यूको बैंक ने MCLR यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट बढ़ा दिया। इसमें 5 बेसिस प्वाइंट्स का इजाफा हुआ है। इस फैसले से सबसे अधिक प्रभावित होम, ऑटो या पर्सनल लोन लेने वाले ग्राहक होंगे। बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक की MCLR में बढ़ोतरी 12 अगस्त से लागू होगी। लेकिन, यूको बैंक यह इजाफा आज यानी 10 अगस्त से लागू हो गया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा ने तीन महीने के टेन्योर के लिए MCLR 8.45 फीसदी से बढ़ाकर 8.5 फीसदी कर दिया। वहीं, छह महीने की अवधि के लिए यह 0.05 फीसदी बढ़कर 8.75 हो गया। केनरा बैंक ने ऑटो और पर्सनल लोन के लिए एक साल की अवधि का MCLR नौ फीसदी कर दिया। यह पहले 8.95 फीसदी था। कोलकाता के यूको बैंक ने एक महीने की अवधि के लिए MCLR 8.3 फीसदी से बढ़ाकर 8.35 फीसदी कर दिया है। RBI ने MCLR सिस्टम 2016 में पेश किया था। यह असल में बेंचमार्क ब्याज दर है, जिसे बैंक अपना लेंडिंग रेट यानी कर्ज देने की ब्याज दर तय करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसका मतलब है कि बैंक किसी भी ग्राहक को इससे कम ब्याज दर पर कर्ज नहीं दे सकते। MCLR बढ़ने से उन कर्जदारों पर असर पड़ेगा, जिनके लोन इस दर से जुड़े होते हैं। उनके लोन की ब्याज दरें बढ़ेंगी और इसने ईएमआई और कुल कर्ज की लागत में भी इजाफा होगा।